जहाँ एक तरफ दुनिया मे डिजिटल क्रांति ने अपना डंका बजा रखा है वहीं दूसरी तरफ आम जनमानस पर खासा दुष्प्रभाव भी पड़ा है।

बात करते हैं ऑनलाइन गेमिंग की जिसने बच्चों पर बहुत ही नकारात्मक छाप छोड़ी हैं जिससे उनका जीवम ही गेम के समान हो गया है गेम के अलावा उन्हें और कुछ सूझता ही नही है PUBG या Free Fire जैसे गेम्स ने बच्चों के सोचने तथा समझने की क्षमता को कम करने के साथ साथ उनके जीवन को संकीर्ण बना दिया है।
आनलाइन गेमिंग एडिक्शन की वजह से कई देशों ने अलग-अलग प्रावधान और मानक बनाए हैं और कुछ देशों ने तो पूर्णतः प्रतिबंधित भी कर दिया है।
चीन में 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को वीकेंड में 3 घंटे ही ऑनलाइन गेम खेलने की इजाजत है।
2009 में वेनेजुएला ने हिंसात्मकता को बढ़ाने वाले ऑनलाइन गेम्स की मैन्यूफैक्चरिंग और उसे खेलने पर प्रतिबंधित कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया ने ऐसे ऑनलाइन गेम्स जो उग्रता,हिंसा या खीझ को बढ़ावा देते हैं उनपर बैन लगा दिया है।
UAE, JAPAN, SAUDI ARABIA, SOUTH KOREA, SINGAPUR इत्यादि जैसे देशों ने ऑनलाइन गेम्स के लिए अलग अलग नियम बना रखे है।
भारत ऑनलाइन गेम्स का एक बड़ा हब है लेकिन अभी तक यहां पर किसी भी प्रकार का कानून या सख्त नियम नही बना है न ही किसी भी प्रकार की जागरूक करने वाली गाइडलाइन।
PUBG के एडिक्शन से हुई आपराधिक घटनाएँ
सितम्बर 2021 में मुम्बई के 16 साल के बच्चे ने PUBG में ID और UC खरीदने के लिए अपनी माँ के बैंक एकाउंट से 10 लाख रुपए उड़ा दिए और माता पिता के डाँटने पर घर छोड़कर भाग गया,बाद में पुलिस ने पकड़कर कॉउंसलिंग कर घर भेज दिया।
अप्रैल 2022 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में 19 वर्षीय छात्र को घर वालों ने PUBG न खेलने के लिए डाँट दिया,बच्चे ने फाँसी लगा ली।
अक्टूबर 2022 में जामनेर में PUBG में लेवल न क्रॉस कर पाने की वजह से नमृता खड़के नाम की छात्रा ने फाँसी लगा ली।
जून 2020 में गेम में टास्क न पूरा करने की वजह से यवतमाल के 22 वर्षीय निखिल ने सुसाइड कर लिया। जनवरी 2020 में मथुरा के रहने वाले 19 वर्षीय पियूष शर्मा ने फाँसी लगा ली, वजह थी माँ ने गेम खेलने को लेकर डाँट दिया था।
जून 2019 में महाराष्ट्र के भिवंडी में 15 वर्षीय बच्चे ने अपने भाई की कैंची घोपकर हत्या कर दी वजह थी कि उसके भाई ने गेम खेलने को लेकर उसे डाँट दिया था। हैदराबाद में 10वीं के छात्र से माँ ने मोबाइल छीन लिया जिसकी वजह से छात्र ने सुसाइड कर लिया।
ऐसी बहुत सारी घटनाएँ हैं जिसमें बच्चे लगातार आपराधिक और हिंसात्मक होते जा रहें हैं कहीं दूसरे की हत्या कर रहें या कहीं खुद अपने आपको जोखिम में डाल दे रहें हैं।
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक 16 वर्षीय बच्चे ने अपनी माँ को 6 गोली मारकर हत्या कर दी, वजह थी कि माँ ने PUBG खेलने को लेकर उसे मना किया था, मारने के बाद बच्चे ने अपने दोस्तों को अंडा करी की पार्टी दी,और 3 दिन बाद जब माँ की बॉडी से दुर्गंध आने लगी तो अपने फौजी पिता को फ़ोन कर अलग ही कहानी कह दी, हालांकि पुलिस अभी जाँच कर रही है।
'INSTITUTE OF HUMAN BEHAVIOUR AND ALLIED SCIENCE' के पूर्व निदेशक डॉ देसाई कहते हैं कि ऑनलाइन गेम्स बच्चों को उग्र, चिड़चिड़ा और हिंसात्मक बना रहा है जिन्हें ज्यादा गेम एडिक्शन है वह गहरे अवसाद(डिप्रेशन) से ग्रसित होते जा रहे हैं।
'JOURNAL OF AMERICA MEDICAL ASSOCIATION' ने 200 बच्चों पर रिसर्च किया और पाया कि जो बच्चे बन्दूक पकड़ने जैसे ऑनलाइन गेम खेलते हैं उनमें आम बच्चों की तुलना में वास्तविक रूप से गन चलाने और ट्रिगर दबाने की इच्छा सामान्य लोगों से कई गुना ज्यादा है।
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बच्चों में देखें यह बदलाव तो तुरंत दें ध्यान
ऑनलाइन गेमिंग की लत की वजह से बच्चों में यह परिवर्तन आम रूप से देखे जाते हैं आइये जानते हैं-
- अगर आपका बच्चा अचानक से डेली रूटीन फ़ॉलो करना बंद कर दे।
- अचानक से बच्चे का चिड़चिड़ा और गुस्सैल और हिंसात्मक हो जाना।
- खाने पीने पर ध्यान न दे और दिनभर अकेले रहना।
- Study की परफॉर्मेंस में नकारात्मक प्रभाव
ऐसे में आप उससे रेगुलर बात कीजिये, दोस्तों के साथ उससे Outdoor Games खेलने के लिए प्रोत्साहित कीजिये।समय समय पर उसकी mobile या computer की एक्टिविटी पर ध्यान दीजिए।