कल्पना कीजिए उस समय की, जब ब्रह्मांड में अंधकार छाया हुआ था। न कोई आकाश, न कोई धरती, न सूरज का प्रकाश और न ही चाँद-तारों की चमक। बस गहरा सन्नाटा और अनंत अँधेरा। ऐसे में, त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने जब सृष्टि की रचना शुरू की, तो उन्होंने एक दिव्य शक्ति का आह्वान किया।

और तब प्रकट हुईं माँ कुष्माण्डा, जिनकी मंद मुस्कान ने पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश और जीवन का संचार किया। यही कारण है कि नवरात्र के चौथे दिन इन्हीं सृष्टि की आदि शक्ति की पूजा की जाती है।
माँ कुष्माण्डा कौन हैं? उनके नाम का रहस्य और स्वरूप
माँ का नाम 'कुष्माण्डा' दो शब्दों से मिलकर बना है—'कु' (बहुत थोड़ा), 'उष्मा' (ऊर्जा या ताप) और 'अंड' (अंडा या ब्रह्मांड)। मतलब, थोड़ी सी ऊर्जा से ब्रह्मांड की रचना करने वाली। एक और मान्यता है कि संस्कृत में कुम्हड़ा (pumpkin) को 'कुष्माण्ड' कहते हैं, और चूंकि यह माँ को बेहद प्रिय है, इसलिए उन्हें यह नाम मिला।
माँ कुष्माण्डा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य है: उनकी आठ भुजाएँ हैं, इसीलिए उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है। उनके हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, सुदर्शन चक्र, गदा और जप की माला है। कहा जाता है कि उनकी जपमाला में ही सभी प्रकार की सिद्धियाँ और निधियाँ समाई हुई हैं।
2025 में चौथे नवरात्र की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल शारदीय नवरात्र का चौथा दिन 26 सितंबर, शुक्रवार को है। ध्यान रखें, चतुर्थी तिथि 25 सितंबर की सुबह से शुरू होकर 26 सितंबर की सुबह 9:34 बजे तक रहेगी। इसलिए, पूजा का सबसे शुभ समय 26 सितंबर की सुबह होगा।
माँ कुष्माण्डा की पूजा विधि: Step-by-Step Guide for Beginners
अगर आप पहली बार पूजा कर रहे हैं, तो घबराएँ नहीं। यहाँ है एक सरल और पूर्ण मार्गदर्शन:
- सुबह जल्दी उठें: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-5 बजे) में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे हरे रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल तैयार करें: एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएँ। माँ कुष्माण्डा की फोटो या मूर्ति स्थापित करें।
- कलश स्थापना: अगर आपने घटस्थापना की है, तो उस कलश की भी पूजा करें।
- दीप जलाएँ: दीया जलाकर माँ के समक्ष रखें।
- प्रसाद चढ़ाएँ: माँ को उनका प्रिय भोग अर्पित करें। इसमें मालपुआ, हलवा, दही और कुम्हड़े (pumpkin) की मिठाई शामिल कर सकते हैं।
- फूल और अक्षत चढ़ाएँ: माँ को लाल फूल और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें: नीचे दिए गए मंत्रों का 108 बार जाप करें।
माँ कुष्माण्डा के शक्तिशाली मंत्र (Powerful Mantras)
इन मंत्रों का जाप करने से माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करती हैं।
- सरल मंत्र:
ॐ कुष्माण्डायै नमः
- बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नमः
- विस्तृत मंत्र: सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्। भक्त की हर इच्छा पूरी करें, वह देवी जिनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है।
माँ कुष्माण्डा की आरती (Aarti)
पूजा के अंत में इस आरती को गाकर माँ का आशीर्वाद लें।
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिंगला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी मां भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो माँ अम्बे॥
क्यों हैं खास? माँ कुष्माण्डा की पूजा के लाभ
माँ थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों को अनंत लाभ प्रदान करती हैं:
- निरोगी काया: अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान मिलता है।
- मान-सम्मान: घर-परिवार में खुशहाली और समाज में यश की प्राप्ति होती है।
- आत्मविश्वास: माँ की कृपा से आंतरिक शक्ति और साहस का विकास होता है।
- भक्ति का मार्ग: सच्चे मन से पूजा करने वाले को मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
ध्यान रखने योग्य बातें (Important Tips)
- रंग (Color): इस दिन हरा रंग धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हरे रंग के कपड़े, फल या अन्न का दान भी कर सकते हैं।
- भोग (Bhog): माँ को मालपुआ का भोग जरूर लगाएँ। यह उन्हें सबसे अधिक प्रिय है।
- सच्ची भक्ति: माँ छल-कपट से दूर रहती हैं। सरल और सच्चे हृदय से की गई पूजा ही सफल होती है।
अंतिम विचार: अपनी मुस्कान से सृष्टि बनाने वाली माँ का आह्वान
नवरात्र का चौथा दिन हमें यह याद दिलाता है कि आनंद और सकारात्मकता ही सृष्टि का आधार है। माँ कुष्माण्डा की तरह एक मंद मुस्कान भी हमारे जीवन के अंधेरे को दूर कर सकती है। इस दिन माँ की पूजा करके हम न सिर्फ उनका आशीर्वाद पाते हैं, बल्कि अपने अंदर सृजन की शक्ति और आनंद का भाव भी जगाते हैं। क्या आपने आज माँ कुष्माण्डा की पूजा की? नीचे कमेंट में अपने अनुभव हमसे साझा करें।
यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में वर्णित कथाओं पर आधारित है। इसे आस्था और श्रद्धा के साथ समझने का प्रयास करें।