क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के नौ दिनों में से हर दिन एक विशेष ऊर्जा और आशीर्वाद लेकर आता है? आज हम बात करने जा रहे हैं छठे दिन की

जब मां दुर्गा के छठे और अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। अगर आप विवाह में देरी, स्वास्थ्य समस्याओं, या किसी भी प्रकार के भय से जूझ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है।
मां कात्यायनी कौन हैं? एक दिव्य परिचय
मां कात्यायनी का नाम सुनते ही मन में एक तेजस्वी और कृपालु देवी की छवि उभरती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसीलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। इन्हें षष्ठी देवी के नाम से भी जाना जाता है और [स्रोत के अनुसार] इन्हें भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है।
क्या आपने कभी सोचा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इतने विशाल स्तर पर मनाए जाने वाले छठ पूजा का केंद्र कौन हैं? जी हाँ, वही मां षष्ठी यानी छठ मैया हैं, जो अपने भक्तों पर अटूट कृपा बनाए रखती हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
मां कात्यायनी की सुनहरी छवि और उनका प्रतीकात्मक अर्थ
मां कात्यायनी का रंग सोने के समान चमकीला और दिव्य है, जो उनकी समृद्धि और तेजस्विता का प्रतीक है। उनकी चार भुजाएँ हैं, जो चारों दिशाओं में उनके सर्वव्यापी होने का संकेत देती हैं:
- ऊपरी बाएं हाथ में तलवार: यह हमारे अंदर के सभी नकारात्मक विचारों और बुराइयों को काटने का प्रतीक है।
- निचले बाएं हाथ में कमल का फूल: यह शुद्धता, आत्मज्ञान और मन की शांति का प्रतीक है।
- ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में: मां हमें 'अभय' यानी 'निडर' होने का वरदान देती हैं।
- नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में: यह मां की कृपा और अपने भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करने का प्रतीक है।
माना जाता है कि मां कात्यायनी की सच्चे मन से उपासना करने वाले साधक को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता और उसे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना भी नहीं करना पड़ता।
नवरात्रि 2025 में छठे दिन का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि 2025 में षष्ठी तिथि 27 सितंबर को दोपहर 12:06 बजे से शुरू होकर 28 सितंबर को दोपहर 2:28 बजे तक रहेगी। इसीलिए, इस वर्ष मां कात्यायनी की पूजा 28 सितंबर को करना अत्यंत शुभ रहेगा।
किसके लिए है मां कात्यायनी की पूजा विशेष लाभकारी?
अगर आप या आपके परिवार में कोई इन समस्याओं से जूझ रहा है, तो मां कात्यायनी की आराधना आपके लिए वरदान साबित हो सकती है:
- विवाह में देरी: जो लोग लंबे समय से अपने या अपने बच्चों के लिए एक अच्छा और अनुकूल विवाह का रिश्ता ढूंढ रहे हैं।
- मन की अशांति और भय: जो लोग हमेशा किसी न किसी डर या चिंता से घिरे रहते हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: जिन्हें बार-बार स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि: स्टेप बाय स्टेप गाइड
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- मां कात्यायनी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- मां को पीले फूल और पीले वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि यह रंग उन्हें अत्यंत प्रिय है।
- दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
- मां को शहद या शहद से बनी खीर का भोग लगाएं।
- नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी एक का जाप करें।
मां कात्यायनी के प्रमुख मंत्र
आप इनमें से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं:
"सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।"
- संक्षिप्त मंत्र: ॐ ह्रीं नम:
- दूसरा प्रमुख मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मां कात्यायनी की आरती
पूजा के अंत में इस मधुर आरती को गाकर मां का गुणगान करें और उनसे अपने सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
जय जय अंबे जय कात्यायनी । जय जगमाता जग की महारानी ।।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
अंतिम विचार: मां का आशीर्वाद है सबसे बड़ा सहारा
नवरात्रि का यह छठा दिन हमें यह एहसास दिलाता है कि मां दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप हमारे जीवन की एक विशेष चुनौती का समाधान लेकर आता है। मां कात्यायनी हमें निडरता प्रदान करती हैं और जीवन के सभी भय और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं। सच्चे मन और पूर्ण विश्वास से की गई पूजा हमेशा फलदायी होती है। आज ही मां कात्यायनी की शरण में जाएं और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक ग्रंथों पर आधारित है। इसे सामान्य जानकारी के रूप में लें।