क्या आप भी नवरात्रि के पावन नौ दिनों में व्रत रखते हैं, लेकिन अंत में यह सवाल आता है कि व्रत का पारण (Paran) कब और कैसे करना चाहिए? अष्टमी, नवमी या फिर दशमी? यह सवाल हर भक्त के मन में उठता है और अलग-अलग परंपराएं इसे लेकर भिन्न विचार रखती हैं।

आइए, इस लेख में हम आपको एक अनुभवी मार्गदर्शक की तरह बताते हैं कि 2025 में नवरात्रि व्रत का पारण कब, किस समय और किस विधि से करना सर्वोत्तम रहेगा, ताकि आपको माँ दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हो।
2025 नवरात्रि पारण: महत्वपूर्ण तिथियाँ और समय (Navratri Paran 2025 Date & Time)
2025 के नवरात्रि पर्व के अनुसार, व्रत तोड़ने यानी पारण का सामान्य शुभ समय 2 अक्टूबर 2025, सुबह 06:15 बजे के बाद से शुरू होगा। लेकिन यह समय तिथि के अनुसार बदलता है। आइए विस्तार से समझते हैं।
1. अष्टमी तिथि पर पारण (Navratri Ashtami Paran 2025)
- तिथि: 30 सितंबर 2025, मंगलवार
- पारण का सिद्धांत: इस दिन कन्या पूजन करने के बाद व्रत खोला जा सकता है।
- महत्वपूर्ण समय: अष्टमी तिथि इस दिन सुबह 06:06 बजे समाप्त हो रही है। पारण का कार्य तिथि समाप्त होने से पहले कर लेना चाहिए।
- किसके लिए है: जो लोग अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराकर व्रत खोलने की परंपरा का पालन करते हैं।
2. नवमी तिथि पर पारण (Navratri Navami Paran 2025)
- तिथि: 1 अक्टूबर 2025, बुधवार
- पारण का सिद्धांत: इस दिन हवन-पूजन और कन्या पूजन के बाद व्रत खोलना शुभ माना जाता है।
- महत्वपूर्ण समय: नवमी तिथि इस दिन शाम लगभग 07:00 बजे तक रहेगी। इससे पहले पूजन और पारण कर लेना उचित रहेगा।
- किसके लिए है: यह सबसे अधिक प्रचलित और मान्यता प्राप्त तरीका है। अधिकांश भक्त नवमी के दिन ही व्रत का पारण करते हैं।
3. दशमी तिथि पर पारण
- तिथि: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- पारण का सिद्धांत: जो लोग पूरे नौ दिन का कठिन व्रत रखते हैं, वे दशमी तिथि के दिन सुबह 06:15 बजे के बाद व्रत खोलते हैं।
- किसके लिए है: यह विधि उन साधकों के लिए है जो पूर्ण नवरात्रि का विधिवत व्रत रखते हैं।
नोट: आपकी पारिवारिक परंपरा और आस्था क्या कहती है, यह सबसे महत्वपूर्ण है। इन तिथियों और समय को एक दिशा-निर्देश के रूप में लें।
नवरात्रि व्रत पारण की सही विधि (Navratri Vrat Paran Vidhi)
सही समय जानने के बाद यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि व्रत कैसे खोलें। यहाँ है step-by-step गाइड:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें: पवित्र होकर तैयार हों।
- माँ दुर्गा की पूजा: सबसे पहले माँ दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना करें। उन्हें फल, मिठाई और विशेष प्रसाद चढ़ाएं।
- हवन करें (यदि संभव हो): नवमी के दिन हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और आपकी प्रार्थनाएं माँ तक शीघ्र पहुँचती हैं।
- कन्या पूजन (सबसे महत्वपूर्ण चरण): छोटी कन्याओं (आमतौर पर 2 से 10 वर्ष की) को घर बुलाएं। उनके पैर धोकर, उन्हें आदर के साथ आसन पर बैठाएं।
- भोजन कराएं: उन्हें पूर्ण भोजन कराएं। इस भोजन में पूड़ी, हलवा, चना और कोई सब्जी शामिल कर सकते हैं। मान्यता है कि इन कन्याओं में माँ दुर्गा का वास होता है।
- दक्षिणा और उपहार दें: भोजन के बाद उन्हें कुछ दक्षिणा, फल, उपहार या मिठाई देकर विदा करें।
- प्रसाद ग्रहण करें: अब माँ को चढ़ाए गए प्रसाद को स्वयं ग्रहण करके अपना व्रत खोल लें।
अंतिम विचार: आपकी आस्था सर्वोपरि है
नवरात्रि का व्रत और पारण आस्था और श्रद्धा का विषय है। जबकि शास्त्रों में अलग-अलग विधियाँ बताई गई हैं, आखिरकार आपका विश्वास और आपके परिवार की परंपरा ही सबसे महत्वपूर्ण है।
चाहे आप अष्टमी को पारण करें, नवमी को या फिर दशमी को, मुख्य बात यह है कि आपका हृदय शुद्ध हो और माँ के प्रति आपकी भक्ति अटूट हो। माँ दुर्गा सभी भक्तों पर अपनी असीम कृपा बनाए रखें!