भारत की सबसे दबंग जाति कौन सी है? एक नजर सामाजिक प्रभाव और इतिहास पर

भारत में अगर जातियों और उपजातियों की बात की जाए तो इनकी संख्या लगभग 22 से 25 हजार के बीच होगी, विभिन्नता में एकता का बीज रोपण करने वाला यह देश हिंदुस्तान इसलिए हजारों साल से विश्व गुरु बन रहा।

भारत की सबसे दबंग जाति कौन सी है? एक नजर सामाजिक प्रभाव और इतिहास पर

जातियों का इतिहास बहुत पुराना रहा है यह समाज के ताने बाने की संरचना का आधार है साथ ही सांस्कृतिक के विभिन्नताओं की पहचान है अब बात करते हैं कि हमारे देश की सबसे दबंग जाति कौन सी है तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यहां दबंग का अर्थ क्या है?

क्या है 'दबंग' शब्द के मायने

यहां पर दबंग शब्द का मतलब वर्चस्व से है, अब वर्चस्व के भी सामाजिक रूप में कई पहलू हैं जैसे कि सर्वाधिक भूमि का होना, ज्यादा शिक्षित होना या ऐतिहासिक रूप से शक्तिशाली होना।

इन पहलुओं के आधार पर जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावशाली बनी जिन्हें बाद दबंग जाति कहकर संबोधित किया, जैसे कि उत्तर भारत में राजपूत, यादव इत्यादि वहीं दक्षिण भारत में रेड्डी जैसी जातियां दबंग कहलाईं।

उत्तर भारत की प्रमुख दबंग जातियां

मौर्य काल से लेकर ब्रिटिश काल तक यदि देखा जाए कि कौन सी जाति विशेष का दबदबा रहा तो ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य, भूमिहार और जाटों का वर्चस्व लगातार बना रहा हालांकि समय के साथ ताकत बढ़ती घटती रही लेकिन निरंतर यह जातियां सत्ता और समाज के केंद्र पर रहीं।

मंदिर से लेकर भूमि स्वामित्व का अधिकार किसी भी जमाने में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों के पास रहा वहीं क्षत्रियों राजपूतों के पास दल बल रहा, तो वाणिज्य में वैश्यों का अधिकार रहा, बिहार, झारखंड में भूमिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा राजस्थान तक जाटों की धमक बरकरार रही। यह मुख्य रूप से कृषि उत्पादन कर समाज के विशेष अंग बन गए। आधुनिक भारत में बिहार ,उत्तर प्रदेश में यादव जाति शक्तिशाली बनकर उभरी।

दक्षिण भारत की प्रभावशाली जातियां

साउथ इंडियन ब्राह्मण में तमिल अयंगर, होयसल कन्नड़ में, केरल के नंबूदरी और तेलगु में वेलनआती ब्राह्मण प्रभाव में रहे, इसके पीछे का कारण धार्मिक कर्मकांड, मंदिर और प्रशासनिक सेवाओं में आज भी बड़ी मात्रा में भागीदारी है। आंध्रा और तेलंगाना में 'रेड्डी जाति' का बोलबाला ब्रिटिश काल से है क्योंकि जमीदारी से लेकर राजनीतिक रूप से मजबूत कर समाज में अपने आप को स्थापित किया है आज भी विधायक और सांसदों की संख्या काफी है।

आंध्रा, तेलंगाना और तमिलनाडु में कापू, वेल्लारी और नायडू जातियां प्रभाव में है चिरंजीवी, पवन कल्याण जैसी हस्तियां कप्पू जाति से हैं प्रारंभ से ही यह सामंत थे और राजाओं महाराजाओं के बहुत करीबी थे, वर्तमान में उक्त जातियां सिनेमा, राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में काफी एक्टिव हैं। कर्नाटक में लिंगायत ऐतिहासिक समुदाय है जो धार्मिक कर्मकांड इत्यादि से पहले से ही वर्चस्व में है।

महाराष्ट्र और गुजरात में वर्चस्वशाली जातियां

महाराष्ट्र का नाम लेते ही सबसे पहले छत्रपति शिवाजी का नाम याद आता है जिन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी, मराठा जाति शुरू से ही जागीरदार, कृषक और योद्धा थे, और आज भी पुलिस बल से लेकर राजनीति तक सक्रिय नजर आते हैं।

महार जाति ब्रिटिश काल में काफी मजबूत स्थिति में रही इसी समुदाय से संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ताल्लुक रखते थे, दलित आंदोलन महारो के नेतृत्व में सफल रहा था। गुजरात में पटेल, पाटीदार आर्थिक रूप से मजबूत जाति है जिसकी सहभागिता राजनीति से लेकर कई अन्य मुद्दों में उनके प्रभाव और वर्चस्व को दिखाता है।

निष्कर्ष

वैसे तो भारत में बहुत सारे वर्ग, समुदाय जातियां दबंग कहलाईं, ऊपर कुछ विशेष जातियों का जिक्र हमने किया है उक्त जातियों के दबंग होने का तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं है कि बाकी जातियों का कोई वर्चस्व या योगदान नहीं था। समय के साथ जातियों का प्रभाव भी बदलता रहा, पहले जमीन और युद्ध कौशल के आधार पर दबंग माना जाता था वर्तमान में यह मापदंड बदल गया है अब शिक्षा, तकनीक और आर्थिक रूप से मजबूत जाति दबंग कहलाती है। लेख का विश्लेषण का मतलब यह कतई नहीं है कि कोई जाति श्रेष्ठ या निम्न है। बाकी आप बताइए कि इस समय वर्चस्व में कौन कौन सी जातियां हैं।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

नमस्कार! यह हमारी टीम के खास मेंबर हैं इनके बारे में बात की जाए तो सोशल स्टडीज में मास्टर्स के साथ ही बिजनेस में भी मास्टर्स हैं सालों कई कोचिंग संस्थानों और अखबारी कार्यालयों से नाता रहा है। लेखक को ऐतिहासिक और राजनीतिक समझ के साथ अध्यात्म,दर्शन की गहरी समझ है इनके लेखों से जुड़कर पाठकों की रुचियां जागृत होंगी साथ ही हम वादा करते हैं कि लेखों के माध्यम से अद्वितीय अनुभव होगा।

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