हिन्दू धर्म में चार युगों का वर्णन मिलता है वर्तमान में कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है इस काल में मायावी और दुराचारी शक्तियों का प्रभाव बढ़ेगा।
कहते हैं कलयुग मे सर्वश्रेष्ठ बजरंगबली हैं उनका नाम लेने मात्र से ही दुष्ट और मायावी शक्तियों का विनाश हो जाता है श्रीराम ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जब तक इस संसार में रामायण की ख्याति रहेगी तब तक हनुमान के शरीर में प्राणों का संचार रहेगा अर्थात श्री मारुति नन्दन अमर हैं उनके सिमरन मात्र से ही भूत पिशाच तथा नकारात्मकता दूर होती है। जहां भी श्रीराम की स्तुति होती है प्रभु कपिश्रेष्ठ वहां विराजमान रहते हैं केशरी नंदन की स्तुति के लिए हनुमान चालीसा पाठ, बजरंग बाण और हनुमान बाहु का पाठ कर सकते हैं हम आपको "बजरंग बाण" के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे।
श्री बजरंग बाण का पाठ - Bajrang Baan Paath
इस पाठ का जप करने से सभी तत्कालीन और भविष्य में आने वाली आपदाएं और विपत्तियां कट जाती हैं तथा समृद्धि गौरव और यश की कीर्ति होती है।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
बजरंग बाण पाठ की विधि और नियम
मन की श्रद्धा होना भक्ति का प्रथम चरण है शास्त्रानुसार पूजा पद्धति द्वितीय चरण हो सकते हैं बजरंगबली के ईष्ट प्रभु श्रीराम हैं तो पाठ शुरू करने के पहले ऐसी तस्वीर लें जिसमे श्रीराम के साथ हनुमान जी हों। यह कुछ विशेष बाते हैं जो आपको ध्यान रखनी चाहिए।
पूजन विधि -
- शान्त स्थान का चयन करें और समय प्रातः काल हो।
- गंगा जल से स्थान की शुद्धि कर लें।
- पूजन सामग्री में धूप और गाय के घी का दीपक हो और पुष्प इत्यादि हों।
- भोग प्रसाद के लिए लड्डू और फल में मोसम्मी ले सकते हैं।
- पाठ के मंत्रोच्चार पर भी ध्यान दें शुरुवात में सब माफ है लेकिन कोशिश करना चाहिए कि शुद्ध उच्चारण हो।
पाठ के नियम
- मंगलवार से पाठ की शुरुआत करें तो उत्तम फल मिलेगा।
- शारीरिक और मन की शुद्धि अत्यन्त अनिवार्य है।
- गेरूए वस्त्र धारण कर जाप करना शास्त्रों में अधिक लाभदायक बताया गया है।
- पाठ शुरू करने के पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश का ध्यान करें।
- द्वितीय ध्यान हनुमान जी के ईष्ट प्रभु रघुनाथ का जाप करें।
- जप करते समय रुद्राक्ष की माला लेकर जपते रहें जिससे गिनती करने में आसानी भी होगी।
- पाठ के समापन के बाद "सीताराम" की स्तुति अनिवार्य है।
यह आधारभूत नियम हैं अधिक जानकारी के लिए ज्योतिषी या ज्ञानी पंडितों की सलाह ले सकते हैं।
बजरंग बाण संकट के समय रामबाण के समान है।
बजरंग बाण का पाठ किसी संकट या विपदा के निस्तारण के लिए होता है जब आप किसी रोग बीमारी,दुरात्मा,या आने वाले संकट से जूझ रहें हैं या विपत्ति का आभास हो रहा है तब आप एक समय सीमा जैसे 21 दिन तक या 11 दिनों तक नियमित विधि पूर्वक पाठ कर सकते हैं। किसी के प्रति द्वेष रखकर या धन सम्पदा की कामना कर इस पाठ को करना उत्तम नही माना जाएगा और उसका फल विपरीत होगा इसलिए बहुत ही विशेष परिस्थितियों में पाठ करना चाहिए, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
बजरंग बाण किसने लिखा है
बजरंग बाण पाठ के अंत या शुरुवात में किसी भी रचयिता का नाम नहीं लिखा है लेकिन पाठ में "अवधी" भाषा का प्रयोग बताता है कि इन्हे रचने वाले कोई और नहीं बल्कि श्रीरामचरितमानस के रचयिता श्री तुलसी बाबा हैं। "बजरंग बाण" लिखने के पीछे की कथा यह है कि तुलसीदास जब बनारस में रहते थे तब किसी तांत्रिक द्वारा उनके ऊपर तंत्र क्रिया करवा दिया था परिणाम स्वरूप उस क्रिया का असर यह हुआ कि उनके पूरे शरीर में भयानक लाल रंग के फोड़े निकल आए तब गोस्वामी जी ने हनुमान बाण की रचना की और नियमित पाठ किया। इस पाठ के प्रताप से तंत्र का नाश हो गया और कुछ ही दिनों में वह पूर्णतः स्वस्थ हो गए।
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समापन
बजरंगबली की कृपा आप भक्तों पर सदैव बनी रहे। इस लेख को लिखते समय सभी उपलब्ध जानकारी ज्योतिषों और पंडितों के द्वारा बताए अनुसार लिखी गई है किसी भी त्रुटि होने पर संस्थान या लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। अगर आपको लगता है कि कुछ सुधार की आवश्यकता है तो आप हमे कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं।