किसी भी देश के संवैधानिक लोकतंत्र में शासन के मुख्यतः तीन अंग होते हैं पहला कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका इन्हीं तीन आधार स्तंभ में लोकतंत्र टिका होता है।
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ज्यूडिसियरी, डेमोक्रेसी की मुख्य शक्ति मानी जाती है क्योंकि लोकतंत्र में न्याय सर्वोपरि है इस लेख में आगे जानेंगे भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में न्यायपालिका की क्या परिभाषा है और उसकी संरचना के बारे में जानेंगे।
न्यायपालिका क्या है
न्याय की समुचित व्यवस्था करने वाला एक राष्ट्रीय संगठन न्यायपालिका कहलाता है इसके अंतर्गत न्याय के मामलों को निर्देशित तथा स्थापित कर समाज में शान्ति व्यवस्था कायम की जाती है इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी देश की कानून प्रणाली को कायम करना तथा नागरिकों की सुरक्षा के साथ उन्हें न्याय प्रदान करना होता है। प्रत्येक राष्ट्र की अपनी न्यायिक पद्धति होती है और विधिक सम्बन्धी नियम संविधान में निहित होते हैं। हमारा भारत एक प्रजातांत्रिक देश है यहां पर न्यायव्यवस्था के विभिन्न स्तर हैं।
भारतीय न्यायपालिका
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भारतीय न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्था है जो देश के कानून और नियमों के प्रबंधन का कार्य तथा नागरिकों के वादों, विवादों को संविधान अनुसार निबटाकर न्याय प्रदान करती है इसीलिए भारत में न्यायपालिका के सबसे बड़े न्यायलय अर्थात सुप्रीम कोर्ट को संविधान तथा लोकतंत्र का रक्षक माना जाता है। भारतीय न्यायपालिका एक निष्पक्ष है इसीलिए शासन के अन्य दो अंग इसके कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते हैं तथा यह देश के संविधान के प्रति जवाबदेह है।
भारतीय न्यायपालिका की संरचना
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भारतीय न्यायपालिका एकीकृत प्रणाली पर आधारित है संघ की न्यायपालिका में सबसे ताकतवर Supreme Court है। न्यापालिका का विवरण संविधान के भाग 5 में मिलता है।
Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में निहित है इसका उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को किया गया था यह भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत लागू संघीय न्यायालय का उत्तराधिकारी था।
- 1 अक्टूबर 1937 को फेडरल कोर्ट की स्थापना हुई थी जिसकी सुनवाई लंदन के प्रिवी कौंसिल में होती थी किंतु आज सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है।
- अनुच्छेद 124 में कहा गया है कि भारत में एक सुप्रीम कोर्ट होगा इसके प्रथम मुख न्यायाधीश हरिलाल जे कनिया थे और वर्तमान CJI Dhananjay Yeshwant Chandrachud हैं।
High Court
जिस प्रकार पूरे देश का सर्वोच्च न्यायालय एक ही होता है वैसे ही भारत में प्रत्येक राज्य के हिसाब से हाईकोर्ट की स्थापना की गई थी। यह संविधान के अनुच्छेद 214 में उल्लेखित है।
- वर्तमान में 25 हाईकोर्ट हैं पहला हाईकोर्ट 1774 में रेगुलेटिंग एक्ट के स्थापित किया गया था।
- वर्तमान में सबसे बड़ा हाईकोर्ट इलाहबाद हाईकोर्ट है।
- पहली मुख्य न्यायधीश लीला सेठ हैं जो की दिल्ली हाईकोर्ट में CJI थीं।
जिला न्यायालय
यह न्यायालय जिला स्तर के मामलों को निबटाने का काम करती हैं अधीनस्थ न्यायलयों से आए मामलों का निर्णय तथा गम्भीर अपराधों पर भी सुनवाई करती हैं हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था में इन अदालतों का स्थान प्रमुख है।
अधीनस्थ न्यायालय
इस न्यायालय का उल्लेख आर्टिकल 233 से 237 तक है यह हमारे देश की न्याय प्रणाली की अन्तिम इकाई है इसमें दीवानी तथा अपराधिक मामलों की सुनवाई होती है अगर सिविल सम्बंधी जैसे कि नागरिक के मौलिक अधिकार की बात हो तो उस पर न्याय और अन्य प्रकार में पुलिस में रिपोर्ट के माध्यम से मामलों में न्याय व्यवस्था का दायित्व अधीनस्थ न्यायलयों के पास है।
Read also,
- भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
- रामसर सम्मेलन-1971 और भारत में रामसर साइट्स - Ramsar Sites
निष्कर्ष
भारतीय न्याय व्यस्था प्रणाली को क्रमानुसार इस लेख के माध्यम से समझाया गया है हमारे भारत की न्याय प्रणाली से सम्बन्धित प्रश्न या कोई सुझाव है तो कमेन्ट के माध्यम से हमें बताएं।