Nepal Social Media Ban 2025: 26 ऐप्स पर रोक, बचे प्लेटफॉर्म्स और विरोध प्रदर्शनों पर सरकार का रुख

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इस समय प्रोटेस्ट चल रहा है कारण है सोशल मीडिया का बैन होना, इस बात से हताहत लोग राजधानी काठमांडू समेत देश के कोने कोने में विरोध प्रदर्शन चालू कर दिया। आंदोलन में 18 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और ANI ने खबर लिखने तक घायलों की संख्या 250 बताई है।

Nepal Social Media Ban 2025: 26 ऐप्स पर रोक, बचे प्लेटफॉर्म्स और विरोध प्रदर्शनों पर सरकार का रुख

बीते 4 सितंबर 2025 को नेपाल की सरकार ने समस्त देश में 26 सोशल मीडिया ऐप पर रोक लगा दी है इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सप्प और X जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं इस डिजिटल युग में अचानक से इस बंदी ने आक्रोश तो पैदा किया, साथ ही नागरिकों का कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। क्या है बैन की मुख्य कहानी और साथ में कौन से ऐप काम कर रहे हैं और सरकार का क्या रवैया आगे को लेकर है।

क्यों लगाया ऐप्स पर प्रतिबंध

सोशल मीडिया एप्लीकेशन को रोक को लेकर दो तरह के रवैए हैं एक तो उनका कहना है कि इन प्लेटफार्म से गलत सूचनाएं प्रसारित होती है जिससे देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और सामाजिक अस्थिरता ने जन्म लिया है जिससे मौजूदा यूथ Gen Z का भविष्य खतरे में है।

दूसरा पहलू सरकार की तरफ से कहा गया है कि 'सोशल मीडिया उपयोग विनियमन निर्देशिका 2080' (Directive on Regulating the Use of Social Media, 2080) के अंतर्गत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को चाहे वे घरेलू हों या विदेशी, नेपाल में संचालन करने से पहले संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MoCIT) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था।

नियमावली की कुछ शर्तें - 

  • प्रत्येक कंपनी का दफ्तर देश में होना चाहिए और एक अधिकारी नियुक्त होना चाहिए।
  • हर तीन साल में लाइसेंस को रिन्यू कराना पड़ेगा।
  • अगर सरकार की नजर में कंटेंट हानिकारक है तो 24 घंटे के अंदर प्लेटफार्म को उसे हटाना पड़ेगा।

कंपनियों का क्या कहना है- 

  • 2023 में नेपाल सरकार ने सर्कुलर जारी कर इन कंपनियों को रजिस्ट्रेशन की आखिरी डेट 28 अगस्त 2025 राखी थी बाद में 7 दिन का और वक्त दिया।
  • कंपनियों ने अपनी तरफ से अभी बयान जारी नहीं किया लेकिन कुछ सूत्रों के हवाले से खबर है कि वह सरकार के अंडर में रहकर काम नहीं करना चाहती, वह कंटेंट हटाने या रखने पर सरकार की सहमति या असहमति पर एग्री नहीं हैं।

कौन से ऐप्स नहीं हुए बैन 

कुछ सोशल मीडिया प्लेटफार्म कंपनियां है जिन्होंने समय रहते अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था जैसे Tik Tok, Viber, Nimbuzz और Popo लाइव। अन्य स्रोतों से खबर है कि टेलीग्राम का रजिस्ट्रेशन अभी प्रोसेस में है जिसकी वजह से अभी तक बैन नहीं किया गया है। वाइबर के डाउनलोड बड़े हैं और यह व्हाट्सएप की जगह एक विकल्प हो सकता है।

विरोध प्रदर्शन पर सरकार का रवैया

7 सितंबर को गवर्नमेंट ऑफिशियल की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया है कि वह लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करते हैं और अपनी जनता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मौजूदा बैन को डिफेंड करते हुए कहा कि साइबर ठगी और सामाजिक आसंतुलन की स्थिति पैदा होती है प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहें।

काठमांडू के कई इलाकों में आंदोलन कर रहे यूथ पर आंसू गोले और दल बल का प्रयोग करने की सूचना है राष्ट्रपति भवन के इर्द गिर्द भारी सुरक्षा बढ़ा दी गई हैं। प्रधानमंत्री KP OLI शर्मा का विवादित बयान कि उन्हें डिजिटल रोजगार छिन जाने का डर नहीं है देश की संप्रभुता जरूरी है साथ ही GEN Z को लेकर कॉमेडी भरी बाते की।

निष्कर्ष : आगे क्या?

नेपाल के प्रधानमंत्री और सरकारी बयानों से ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार झुकने को तैयार है और न ही प्रदर्शनकारियों की कोई बात सुनने के लिए कोई रास्ता खोल रहे हैं और ऐसा ही रहा तो प्रदर्शन बढ़ सकते हैं और आम लोग इससे सफर कर सकते हैं जैसे कि डिजिटल क्रिएटर्स (यूट्यूब,फेसबुक) की फील्ड में जो अपना करियर बना चुके थे उनके लिए बुरी खबर है जो नेपाली नागरिक अन्य देशों में रह रहे हैं उन्हें अपने घर से कम्युनिकेशन में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। अगर ऐसा हाल रहा तो ग्लोबलाइजेशन के इस डिजिटल दौर में तकनीकी जानकारियों से नेपाल वंचित रह सकता है वैसे आपका क्या सोचना है?


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Amit Mishra

By Amit Mishra

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