रविवार की रात अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए भयानक भूकंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया का ध्यान इस युद्धग्रस्त देश की त्रासदी की ओर खींच लिया है। तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के मुताबिक, इस 6.0 तीव्रता के भूकंप (6.0 Magnitude Earthquake) में अब तक 1,411 से अधिक लोगों के मारे जाने और 3,124 के घायल होने की पुष्टि हुई है। सबसे भयावह बात यह है कि 5,400 से ज़्यादा घर पूरी तरह से धराशायी हो गए हैं, जिससे पूरे के पूरे गाँव मानो मिट्टी में मिल गए हों।

ग़ाज़ियाबाद जैसे गाँवों से आ रही तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मलबे के नीचे अभी भी सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं, लेकिन बुनियादी उपकरणों और संसाधनों की भारी कमी के चलते बचाव कार्य मुश्किल से हो पा रहा है। यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक मानवीय संकट है।
अफगानिस्तान बार-बार भूकंप का शिकार क्यों होता है? (Why Afghanistan is an Earthquake Hotspot?)
अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अफगानिस्तान ही इतनी बार भयानक भूकंपों का सामना क्यों करता है, तो इसका जवाब पृथ्वी की गहराई में छिपा है। अफगानिस्तान दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों (Active Seismic Zones) में से एक के ऊपर बसा हुआ है।
इसकी मुख्य वजह है इसका भौगोलिक स्थान। अफगानिस्तान हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला (Hindu Kush Mountain Range) पर स्थित है, जो भूकंपीय गतिविधि का एक प्रमुख केंद्र है। यह पूरा इलाका दो विशाल टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) भारतीय प्लेट (Indian Plate) और यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) के बीच की सीमा पर स्थित है।
सोचिए जैसे दो बड़ी कारें आपस में टकरा रही हों, उस point of collision के आसपास जो ऊर्जा और हलचल होती है, वही कुछ इस इलाके में हो रहा है। भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है, जिससे जबरदस्त दबाव बनता है और यही दबाव अक्सर भूकंप के रूप में रिलीज होता है।
उथले vs गहरे भूकंप: कहाँ होता है ज़्यादा नुकसान? (Shallow vs Deep Earthquakes: The Destruction Difference)
यहाँ एक और दिलचस्प वैज्ञानिक तथ्य समझना ज़रूरी है। अफगानिस्तान में दो तरह के भूकंप आते हैं:
- गहरे भूकंप (Deep Focus Earthquakes): उत्तरी अफगानिस्तान का पामीर-हिंदू कुश क्षेत्र दुनिया के उन गिने-चुने इलाकों में से एक है जहाँ 200 किलोमीटर (124 मील) तक की गहराई में भूकंप आते हैं। इतनी गहराई में आने वाले भूकंपों की ऊर्जा सतह तक आते-आते काफी हद तक फैल जाती है, इसलिए इनसे आमतौर पर कम विनाश होता है।
- उथले भूकंप (Shallow Focus Earthquakes): इसके उलट, दक्षिण-पूर्वी अफगानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान की सुलेमान पर्वत श्रृंखला में आने वाले भूकंप बेहद उथले (सतह के करीब) होते हैं। यही वो भूकंप होते हैं जो सबसे ज़्यादा तबाही मचाते हैं। क्यों? क्योंकि उनकी ऊर्जा सीधे सतह पर पहुँचती है और इमारतों, पुलों और जनजीवन को सीधे प्रभावित करती है। दुर्भाग्य से, हालिया भूकंप इसी श्रेणी में आता था।
निष्कर्ष: एक ऐसी त्रासदी जिससे सीख लेनी ज़रूरी है
अफगानिस्तान की त्रासदी सिर्फ एक खबर नहीं है। यह हमें प्रकृति की अथाह शक्ति और उन भौगोलिक तथ्यों की याद दिलाती है जो हमारे ग्रह को आकार देते हैं। यह हमें यह भी सिखाती है कि आपदा प्रबंधन (Disaster Management) और भूकंपरोधी Infrastructur कितने महत्वपूर्ण हैं, खासकर ऐसे देशों में जो पहले से ही संकट में हैं।