संभाजी-कवि कलश जैसी हिंदू राजाओं की जोड़ियां जिन्होंने वीरता और वफादारी की अमर मिसाल पेश की

भारतीय इतिहास के पन्ने पलटने पर अद्भुत वीरता, शौर्य, मित्रता व वफादारी के उदाहरण देखने को मिलते हैं अनेकों राजाओं के वफादारों ने उनके राज पाठ को बढ़ाने में सहायता की।

संभाजी-कवि कलश जैसी हिंदू राजाओं की जोड़ियां जिन्होंने वीरता और वफादारी की अमर मिसाल पेश की

बात सिर्फ राजभवन तक ही नहीं बल्कि युद्ध भूमि तक राजाओं और उनके वफादारों ने अंतिम सांस तक खुद न्योछावर हो गए, इस समय विक्की कौशल की Chhava फिल्म रिलीज हो चुकी है इसमें छत्रपति संभाजी और कवि कलश की ऐसी जोड़ी ने फिर से एक बार बात करने पर मजबूर कर दिया है आइए ऐसी ही वफादारी और मित्रता की मिसाल की बात करें जो अमर हो गए।

छत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलश - मित्रता व बलिदान की मिसाल

मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज और उनके सलाहकार कवि कलश(Chandogamatya) का नाम हमेशा याद किया जाएगा, जब शंभू राजे को मुगल बादशाह ने कैद किया तब Kavi Kalash भी साथ रहे, लगातार 40 दिनों की यातनाएं देने के बावजूद छत्रपति Sambhaji महाराज ने घुटने नहीं टेकें, वही कवि कलश ने अपनी कविताओं के माध्यम से कहा कि "हम नमक है महाराज, दुश्मनों पर रगड़े जाएंगे" उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया।

छत्रपति शिवाजी और तानाजी की मित्रता की मिसाल

आपने अजय देवगन अभिनीत फिल्म ताना जी अवश्य देखी होगी, ताना जी सिर्फ शिवाजी के मित्र ही नहीं बल्कि सलाहकार और कुशल रणनीतिकार थे, जब शिवाजी ने सिंहगढ़ किले को वापस लेने की इच्छा जताई तब तनाजी ने नेतृत्व कर किला जीत लिया हालांकि वह इस लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए, तब शिवाजी ने कहा था कि "गढ़ तो जीत गए पर सिंह चला गया"।

पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई

चंदबरदाई, पृथ्वीराज चौहान के घनिष्ठ मित्र और राज दरबार के मुख्य कवि थे उन्होंने पृथ्वीराज रासो किताब लिखी थी, पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को कई बार युद्ध में परास्त किया लेकिन अपने सिद्धांत की वजह से कभी जान से नहीं मारा,  जयचंद के धोखे की वजह से गौरी ने चौहान व चंदबरदाई को बंदी बना लिया, गौरी ने पृथ्वीराज को अंधा कर दिया इसके बावजूद भरी सभा में शब्दभेदी बाण चलाकर गौरी को मृत्यु के घाट उतार दिया, चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से पृथ्वीराज और सुल्तान के बीच की दूरी बताई थी उसके बाद कहा जाता है कि दोनों मित्रों ने एक दूसरे को मारकर अमर हो गए।

इतिहास में हमेशा राजाओं के वफादारों की बात होती रही है ऐसे हजारों उदाहरण मिल जाएंगे, राजा की मजबूती उनके वफादारों से ही थी जब भी कोई राजा कमजोर पड़ा है उसके पीछे हमेशा से विश्वासघात रहा है।

महाराणा प्रताप - भामाशाह, कृष्णदेवराय - तेनालीराम, महाराजा रणजीत सिंह - हरि सिंह ऐसे अनेकों उदाहरण है जो राजसभा से लेकर युद्ध भूमि तक लड़े और जरूरत पड़ने पर बलिदान भी दिया और इतिहास के पन्नों में छाप छोड़कर लोगों को प्रेरित कर गए, आप भी अगर ऐसे किसी मिसाल के बारे में जानते हैं तो उनका नाम कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।

Support Us

भारतवर्ष की परंपरा रही है कि कोई सामाजिक संस्थान रहा हो या गुरुकुल, हमेशा समाज ने प्रोत्साहित किया है, अगर आपको भी हमारा योगदान जानकारी के प्रति यथार्थ लग रहा हो तो छोटी सी राशि देकर प्रोत्साहन के रूप में योगदान दे सकते हैं।

Amit Mishra

By Amit Mishra

नमस्कार! यह हमारी टीम के खास मेंबर हैं इनके बारे में बात की जाए तो सोशल स्टडीज में मास्टर्स के साथ ही बिजनेस में भी मास्टर्स हैं सालों कई कोचिंग संस्थानों और अखबारी कार्यालयों से नाता रहा है। लेखक को ऐतिहासिक और राजनीतिक समझ के साथ अध्यात्म,दर्शन की गहरी समझ है इनके लेखों से जुड़कर पाठकों की रुचियां जागृत होंगी साथ ही हम वादा करते हैं कि लेखों के माध्यम से अद्वितीय अनुभव होगा।

Related Posts

Post a Comment