मध्यकालीन भारतीय इतिहास में जब भी महानतम राजाओं की बात होती है तो एक नाम हमेशा उभरकर सामने आता है वह है राजस्थान इतिहास के गौरव महाराणा प्रताप का, Maharana Pratap उन वीर राजाओं में शुमार हैं जिनका दायरा अपने राज्य तक सीमित न रहकर इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गए।
जानेंगे बहुत कुछ महाराणा प्रताप के बारे में, महाराणा प्रताप की जीवनी और उनके बलिदानी व्यक्तित्व और संघर्ष को इस लेख के माध्यम से पढ़ेंगे।
महाराणा प्रताप का प्रारम्भिक जीवन एवं इतिहास
प्रताप मेवाड़ के 13वें महाराणा थे, महाराणा प्रताप का जन्म 09 May 1540 को मेवाड़ के कुंभलगढ़ किले में हुआ था वर्तमान में यह राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। सिसोदिया राजपूत वंश में जन्मे महाराणा प्रताप के जन्म के विषय में इतिहासकारों के दो मत हैं अंग्रेजी इतिहासकार जेम्स टॉड के हिसाब से कुंभलगढ़ और विजय नाहर के अनुसार पाली के राजमहलों में हुआ था पाली राणा का ननिहाल था। महाराणा के माता-पिता का नाम जयवंता बाई और राणा उदय सिंह है तथा उनके दादा 'राणा सांगा'थे।
पूरा नाम | महाराणा प्रताप, मेवाड़ का शेर |
जन्म | 09 मई 1540 |
जन्मभूमि | कुंभलगढ़, राजस्थान |
राजवंश | सिसोदिया राजवंश |
आराध्य देव | एकलिंग महादेव |
सेना का नाम | भद्रकाली |
मृत्यु तिथि | 19 जनवरी 1597 चांवड़ |
राज्य सीमा | मेवाड़ |
निक नेम | कीका |
शासन काल | 1568 से 1597 (29 वर्ष) |
धर्म | हिंदू |
राजधानी | उदयपुर |
माता-पिता | जयवन्ता बाई, महाराणा उदय सिंह |
उत्तराधिकारी | अमर सिंह |
महाराणा की शिक्षा-दीक्षा राजघराने में ही माता पिता और राजगुरुओं के मार्गदर्शन में पूर्ण हुई थी, महाराणा युद्ध कलाओं जैसे भाला,तलवारबाजी और घुड़सवारी में निपुण और एक कुशल नेतृत्व वाले राजा थे। महाराणा प्रताप को बचपन से ही कई असामान्य घटनाओं से परिचित होना पड़ा महाराणा जब 7 वर्ष के थे तब उनके पिता राणा उदय सिंह का निधन हो गया जिसके बाद मुगल सेना ने दबाव डाला जिसकी वजह से शरणागति और कुशल राजपूतिक नीति से बचपन में ही परिचित हो गए थे इन घटनाओं का उनके बचपन में गहरा प्रभाव डाला।
बचपन में ही जंगल में एक बाघ के साथ भीषण युद्ध हुआ उन्होंने भाइयों के साथ मिलकर बाघ को मार भगाया इस घटना से प्रताप के अंदर एक अलग ऊर्जा का विस्तार किया। महाराणा के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उन्होंने कुल 11 शादियां की थीं उनके 17 पुत्र और 5 पुत्रियां थीं।
महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक
प्रताप के पिता राणा उदय सिंह के चित्तौड़ में पहले शेरशाह सूरी और बाद में अकबर के आक्रमण से परेशान होकर समस्त सेना को लेकर अरावली की पहाड़ी पर चले गए जहां पर नए नगर "उदयपुर"की स्थापना की और उसे ही राजधानी बनाया था।
महाराणा प्रताप उदय सिंह के सबसे बड़े पुत्र थे लेकिन उदयसिंह की सबसे प्रिय पत्नी धीरबाई भटियानी थी जिनकी जिद्द पर राजा उदय सिंह ने मेवाड़ी गद्दी भटियानी के पुत्र जगमल को सौंप दी और कुछ समय बाद ही उदय सिंह की मृत्यु हो गई।
उदय सिंह की मृत्यु के पश्चात जगमाल ने अकबर से हांथ मिलाकर अजमेर की गद्दी में बैठने को राजी हो गया और मुगल सल्तनत के आधीन राजी हो गया, इसी बीच मेवाड़ के लोगों ने विद्रोह कर दिया जो लोग चाहते थे कि सही हकदार राजगद्दी के महाराणा प्रताप हैं मेवाड़ के जागीरदारों और सिपेसलाहकारों ने मिलकर गोगुंदा में महाराणा का राज्याभिषेक 1 मार्च 1576 को कर दिया।
महाराणा की प्रतिज्ञा और उनके कुल देवता
मेवाड़ के राजघराने की नीव बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी में रखी थी तभी उन्होंने महादेव के मंदिर का निर्माण करवाया था तभी से उनके कुल पूजक अथवा देवता "एकलिंग महादेव" हैं। महाराणा ने इन्हीं अराध्यदेव की सौगंध खाकर प्रतिज्ञा की थी कि
"वह कभी भी मुगल सल्तनत के सम्राट को अपना राजा नही मानेंगे और न ही अपने राज्य को झुकने देंगे और हमेशा अकबर को तुर्क की संज्ञा ही देंगे"।
अकबर ने 4 बार अपने शांति दूतों को मेवाड़ भेजा लेकिन महाराणा ने हर बार प्रस्ताव को मान्यता न देकर विरोध किया।
हल्दीघाटी का युद्ध (महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध)
मुगल शहंशाह अकबर अपनी विस्तार नीति के तहत साम्राज्य की सीमाओं को विस्तार देते हुए मुगल सेना मेवाड़ की सीमा तक जा पहुंची,इसके पहले अकबर ने पंजाब,गुजरात,बंगाल,बिहार के साथ साथ कई दक्षिण भारतीय राज्य भी अपने नियंत्रण में कर लिए थे। 15 June 1876 को हल्दीघाटी के मैदान में मुगल सेना का सामना महाराणा प्रताप की सेना भद्रकाली से सामना हुआ।
तथ्यों की बात करें तो मुगल सल्तनत के पास सैनिकों की संख्या 85000 से अधिक थी और साथ ही उस समय के अनुसार आधुनिक हथियार से पूरी सेना सज्ज थी जबकि राजपूतों की संख्या 20 हजार के आसपास की थी, परिणामस्वरूप राजपूती सेना हार गई और उन्हें वापस होना पड़ा। इस युद्ध के बाद महाराणा और उनके साथियों को जंगल में रहना पड़ा और यह संघर्ष लगातार 30 सालों तक चलता रहा लेकिन महाराणा कभी मुगलों के हांथ नही आए।
"महाराणा के बारे में कहा जाता है कि वह हमेशा 2 तलवार रखते थे क्योंकि अगर दुश्मन निहत्था भी हो तो वह उसे एक तलवार दे सकें क्योंकि वह निहत्थों पर वार नही करते थे।"
महाराणा प्रताप और उनका घोड़ा चेतक
राणा की वीरता की बात हो और चेतक का नाम न आए तो वीरता अधूरी रह जाती है,जनश्रुति और मेवाड़ी कहानियों में ऐसा माना जाता है कि महाराणा तलवार भाला और कवच सहित लगभग 2 क्विंटल के वजन से सज्ज़ रहते थे ऐसे में उनका वजन उठा पाना किसी साधारण घोड़े के बस की बात नही थी, जबकि हल्दीघाटी युद्ध के दौरान चेतक ने 26 फीट नाले को एक ही बार में छलांग लगा दी इससे पता चलता है कि चेतक महाराणा के लिए कितना महत्वपूर्ण था।
मुगल सम्राट अकबर द्वारा महाराणा प्रताप के बारे में की गई टिप्पणी
"मैने दुनिया के एक से बढ़कर एक योद्धा देखें हैं लेकिन महाराणा प्रताप सबसे अलग हैं वह महानतम योद्धा हैं और अपने देश के लिए मरने तक को तैयार हैं"
"महाराणा की वीरता का सम्मान करता हूं उन्होंने जो भी अपने देशवासियों के लिए किया वह प्रशंसनीय कार्य है"
हल्दीघाटी के युद्ध पर अकबर ने कहा था कि निश्चित ही वह युद्ध जीत गए लेकिन महाराणा की वीरता के आगे नतमस्तक हैं और उनका सम्मान करते हैं।
महाराणा प्रताप की मृत्यु का कारण
प्रताप का निधन 57 साल की उम्र में हो गया उनकी मृत्यु के बाद मेवाड़ के राजा उनके पुत्र अमर सिंह बने।महाराणा प्रताप की मौत पर अलग अलग मत हैं कुछ इतिहासकारों का मत है कि शिकार के दौरान उनकी कमान से आंतों पर जख्म हो गया था और कुछ का मानना है कि किसी लंबी बीमारी की वजह से मृत्यु हुई है,महाराणा की मृत्यु 19 जनवरी 1597 को चांवड में हुई थी। प्रताप की गद्दी उनके बेटे अमर सिंह ने सम्हाली थी। महाराणा प्रताप की समाधि उदयपुर के निकट(80km) चांवड़ में स्थित है।
महाराणा प्रताप का योगदान
राणा प्रताप के मुख्य योगदान इस प्रकार हैं- अकबर की विस्तारवादी नीति को गहरा आघात पहुंचाया,मुगल सल्तनत को विस्तार होने से रोका तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए बल दिया। राजपूतों की संस्कृति और परम्पराओं को पुरजोर व्यवस्थित तथा राजपूतों को संगठित किया।अपने राज्य के लोगों के लिए खेती से लेकर सारे समृद्धि के रास्तों के लिए प्रयास त्तथा लड़ाई लड़ी।
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महाराणा प्रताप के सन्दर्भ में अक्सर पूंछे जाने वाले सवाल
महाराणा प्रताप देश के गौरव हैं उनकी गाथा हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय है उनके बारे में कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सवाल पूंछे जाते हैं और लोग जानना भी चाहते हैं ये रहे कुछ प्रश्न और उनके उत्तर।
राणा प्रताप किस वंश के हैं?
राणा प्रताप किस वंश के हैं?
इनके वंशज आज कौन है?
इनके वंशज आज कौन है?
इनको किसने मारा और कैसे मारा?
इनको किसने मारा और कैसे मारा?
यह कितने साल जिए थे?
यह कितने साल जिए थे?
इनके पुत्र का क्या नाम था, जो उनके बाद महाराणा बना?
इनके पुत्र का क्या नाम था, जो उनके बाद महाराणा बना?
निष्कर्ष
आज लगभग 5 सदी बीतने के बाद महाराणा इतिहास में अमर हैं उनकी वीरता और साहस के हजारों प्रमाण हैं महाराणा प्रताप से सम्बन्धित म्यूजियम राजस्थान में हल्दीघाटी के नाम से स्थित है आप वहां जाकर उनकी कहानियों को पढ़ सकते हैं उनसे संबंधित वस्तुएं देख सकते हैं सदियों में महाराणा जैसा कोई एक होता है जो गौरव से इस मिट्टी को भर देता है।