क्या आपको याद है 2016 का वो एक्शन, जब टाइगर श्रॉफ ने 'बागी' के साथ बॉलीवुड में धमाल मचा दिया था? उस वक्त सबने कहा था कि हिंदी सिनेमा को अपना नया एक्शन स्टार मिल गया है। लेकिन क्या आज, 8 साल बाद, 'बागी 4' उसी एक्शन लेगसी को आगे बढ़ा पाई है? या फिर यह फ्रेंचाइजी अब बोरियत और खून-खराबे का एक बेमतलब का खेल बनकर रह गई है?

आज हम 'बागी 4' की पूरी समीक्षा लेकर आए हैं। यह फिल्म न सिर्फ A-सर्टिफाइड है, बल्कि इसके ट्रेलर में दिखाए गए एक्शन और वायलेंस ने लोगों की उम्मीदें भी बढ़ा दी थीं। लेकिन क्या यह फिल्म थिएटर में जाकर देखने लायक है? आइए, विस्तार से जानते हैं।
क्या है 'बागी 4' की कहानी? | Plot Twist या Plot Disaster?
फिल्म की कहानी रॉनी (टाइगर श्रॉफ) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो इस बार एक नेवी ऑफिसर हैं। एक एक्सीडेंट के बाद, उनकी याददाश्त जाती रहती है और वो सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड अलीशा (हरनाज संधू) को ही याद रख पाते हैं। मगर यहाँ से कहानी में मनोवैज्ञानिक मोड़ आता है। रॉनी को बताया जाता है कि अलीशा कभी अस्तित्व में ही नहीं थी – वो सिर्फ उनके दिमाग की उपज थी।
यहाँ तक तो सब ठीक लगता है, मगर असली मसला तब शुरू होता है जब फिल्म अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के नाम पर कन्फ्यूजन और धीमी पेसिंग का शिकार हो जाती है। करीब 2.5 घंटे की इस फिल्म का पहला आधा घंटा ही आपको थका देगा। स्क्रीनप्ले इतना लूज और अनकनेक्टेड है कि आप खुद से पूछने लगेंगे – "भई, ये सब क्या चल रहा है?"
एक्शन या अनचाहा खून-खराबा? | 'एनिमल' की सस्ती नकल
'बागी' सीरीज की पहचान ही उसके इनोवेटिव एक्शन सीक्वेंस रहे हैं। मगर 'बागी 4' में ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको हैरान करे। टाइगर श्रॉफ के स्टंट्स भी पहले जैसे क्रिएटिव नहीं लगते। इसके बजाय, फिल्म में बेतरतीब खून-खराबा दिखाया गया है, जो सिर्फ वायलेंस को ग्लोरिफाई करता नजर आता है।
एक पल तो ऐसा लगता है कि जैसे मेकर्स ने 'एनिमल' जैसी फिल्मों की सफलता से प्रेरित होकर इसे डार्क और ब्रूटल बनाने की कोशिश की है। मगर वो इसमें पूरी तरह फेल हो गए हैं। खून का छींटाकशी और लाशों का ढेर – बिना किसी मकसद के – सिर्फ दर्शकों को ऊबाता है।
एक्टिंग: किसने मारी बाजी?
- टाइगर श्रॉफ ने शारीरिक तौर पर पूरी मेहनत की है, मगर इमोशनल डिप्थ की कमी उनके एक्टिंग में साफ झलकती है।
- संजय दत्त विलेन की भूमिका में हैं, मगर उनके किरदार में कोई गहराई नहीं है। वो सिर्फ 'डरावने दिखने' तक सीमित हैं।
- हरनाज संधू ने अपनी डेब्यू फिल्म में अच्छा प्रदर्शन किया है, मगर उन्हें ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला।
- श्रेयस तलपड़े और सुदेश लेहरी (कैमियो) जैसे सपोर्टिंग कलाकारों ने थोड़ी राहत दिलाई, मगर वो भी फिल्म को बचा नहीं पाए।
संगीत और टेक्निकल पहलू:
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी उतना शानदार नहीं रहा, जितना एक एक्शन थ्रिलर में होना चाहिए। गानों में सिर्फ 'मरजाना' ही याद रहने वाला है, बाकी सब भुला दिए जाने वाले ट्रैक हैं।
निष्कर्ष: क्या 'बागी 4' देखनी चाहिए?
अगर आप 'बागी' सीरीज के फैन हैं, तो शायद आप एक बार इसे देखने का रिस्क ले सकते हैं। मगर अगर आप एक क्वालिटी एक्शन-थ्रिलर की उम्मीद कर रहे हैं, तो 'बागी 4' आपके लिए नहीं है। यह फिल्म कन्फ्यूजिंग प्लॉट, बेमतलब की वायलेंस और खराब स्क्रीनप्ले का एक ऐसा मिश्रण है, जो आपको थिएटर से निराश ही लौटाएगा।
Final Verdict: ⭐½ (1.5/5 Stars)
कहने का मतलब – 'बागी 4' न तो टाइगर श्रॉफ के करियर की बेस्ट फिल्म है और न ही एक्शन जॉनर में कोई नया मापदंड set कर पाई है। इसे skip करना ही बेहतर होगा।
क्या आपने 'बागी 4' देखी? हमें कमेंट्स में बताएं आपकी राय!