नवरात्रि दिन 2: मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि दूसरे नवरात्र पर मंगल दोष शांति, मंत्र, कथा और शुभ रंग

क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन की जाने वाली पूजा आपके जीवन के सबसे बड़े संकटों में से एक, मंगल दोष को शांत कर सकती है? 23 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का यह शुभ दूसरा दिन है, जो हमें देवी के उस रूप के दर्शन कराता है जो तप, संयम और ज्ञान की प्रतीक हैं – मां ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि दूसरे नवरात्र पर मंगल दोष शांति, मंत्र, कथा और शुभ रंग

इस लेख में, हम आपको एक अनुभवी मार्गदर्शक की तरह बताएंगे कि कैसे इस दिन की साधना आपके लिए जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है। चलिए, शुरू करते हैं मां के उस स्वरूप की यात्रा पर जो सफलता की चाबी अपने हाथ में थामे हुए है।

मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं? देवी पार्वती के तपस्वी रूप की पावन कथा

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप देखते ही मन में शांति और दृढ़ संकल्प की भावना जागृत होती है। उनके एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है, जो यह दर्शाता है कि वे तपस्या और ज्ञान की देवी हैं। उनका श्वेत वस्त्रों में सुशोभित होना उनकी पवित्रता को दर्शाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रूप कैसे अस्तित्व में आया?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ही देवी पार्वती का तपस्या वाला रूप हैं। कहानी कुछ यूं है कि अपने पूर्व जन्म में, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प लिया। इस कठोर संकल्प को पूरा करने के लिए, उन्होंने हज़ारों वर्षों तक अत्यंत कठोर तपस्या की।

उनकी इस तपस्या की कठोरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे हज़ारों सालों तक केवल फल-फूल खाकर और कभी-कभी सिर्फ पत्ते चबाकर ही अपना जीवन निर्वाह करती रहीं। उनकी इस अटूट निष्ठा, संयम और तपस्या को देखकर ही देवताओं ने उन्हें "ब्रह्मचारिणी" नाम दिया, जिसका अर्थ है – ब्रह्म (तपस्या) में चरितार्थ होने वाली।

अंततः, उनकी इस कठिन साधना ने भगवान शिव को प्रसन्न कर दिया और उन्हें मनचाहा वरदान प्राप्त हुआ। यह कथा हमें सिखाती है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का ज्योतिषीय महत्व: मंगल ग्रह का नियंत्रण

ज्योतिष शास्त्र एक ऐसी विद्या है जो ग्रहों और हमारे जीवन के बीच के संबंध को समझाती है। इसके अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं।

मंगल ग्रह को ज्योतिष में ऊर्जा, साहस, आक्रामकता और संघर्ष का कारक माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में है, तो इसके कारण जीवन में निम्नलिखित समस्याएं आ सकती हैं:

  • रक्त संबंधी बीमारियाँ
  • दुर्घटनाओं का भय
  • जीवनसाथी के साथ तनाव
  • करियर में रुकावटें
  • आर्थिक नुकसान

इन्हीं बुरे प्रभावों को मंगल दोष या Manglik Dosha कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह मंगल ग्रह के इन अशुभ प्रभावों को कम करती है और आपको साहस, ऊर्जा और सफलता प्रदान करती है।

नवरात्रि दूसरे दिन की पूजा विधि

अगर आप पहली बार नवरात्रि की पूजा कर रहे हैं, तो घबराएं नहीं। यहां बताई गई सरल विधि का पालन करें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।

सामग्री (Items You Will Need): सफेद फूल (विशेष रूप से सफेद गुलाब, चमेली या कमल) चंदन अक्षत (चावल) जप माला मिठाई का प्रसाद (खीर, शक्कर, मिश्री या दूध से बना कोई मिष्ठान्न)

पूजा के Steps:

  • स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, पवित्र वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को भी साफ़ कर लें।

  • संकल्प: एक थाली में सारी पूजा सामग्री रखकर, मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए मन ही मन अपना संकल्प (इरादा) बोलें। जैसे: "मैं अमुक व्यक्ति, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अपने और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए कर रहा हूं।"

  • ध्यान और आवाहन: मां की तस्वीर या कलश के सामने बैठ जाएं। आंखें बंद करके उनके स्वरूप का ध्यान करें – सफेद वस्त्र, हाथ में माला और कमंडल।

  • मंत्र जाप: अब निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें। आप इन्हें बोल सकते हैं या मन ही मन दोहरा सकते हैं। जप के लिए आप माला का भी उपयोग कर सकते हैं।

प्रमुख मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
इस मंत्र के 108 बार जाप का विशेष महत्व है।

स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  • आरती और प्रसाद: अंत में, मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उन्हें मीठा प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद प्रसाद को परिवारजनों में बांट दें।

नवरात्रि दिन 2 का शुभ रंग, भोग और फूल

इस दिन विशेष चीजों का ध्यान रखने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

विशेषता विवरण
शुभ रंग नीला, हरा या सफेद। इस दिन इन रंगों के वस्त्र पहनने या घर की सजावट में इस्तेमाल करने से शुभ फल मिलते हैं।
भोग (प्रसाद) मां को शक्कर, मिश्री, खीर या कोई भी दूध से बना मिष्ठान्न अर्पित करें। यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।
प्रिय फूल सफेद गुलाब, चमेली का फूल और कमल। इन फूलों से मां की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती: पूर्ण पाठ

आरती करते समय घंटी बजाते हुए इन पंक्तियों को पढ़ें। इसे गाकर पढ़ने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो। ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा। जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने। रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना। ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।

अंतिम विचार: अपने संकल्प को मजबूत करें

नवरात्रि का दूसरा दिन हमें मां ब्रह्मचारिणी से एक बहुत बड़ा संदेश देता है – सफलता के लिए दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास जरूरी है। चाहे आपका लक्ष्य आध्यात्मिक हो या भौतिक, मां की पूजा आपको वह दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य देगी, जिससे आप हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

आज ही मां को स्मरण करें, उनका ध्यान करें और अपने मंगल को शुभ बनाने का संकल्प लें। कमेंट में बताएं कि आपने इस दिन क्या संकल्प लिया है।

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Sumit Mishra

By Sumit Mishra

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