नवरात्रि दिन 5: स्कंदमाता पूजा विधि नवरात्रि पंचमी पर मां के पांचवें स्वरूप की आराधना से मिलता है सैन्य बल और मातृत्व का आशीर्वाद

नवरात्रि की पवित्र यात्रा में पांचवां दिन एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की जाती है।

नवरात्रि दिन 5: स्कंदमाता पूजा विधि नवरात्रि पंचमी पर मां के पांचवें स्वरूप की आराधना से मिलता है सैन्य बल और मातृत्व का आशीर्वाद

यह वह दिन है जब हम माता के उस रूप को प्रणाम करते हैं जो न केवल सृष्टि की जननी हैं बल्कि देवताओं के सेनापति की माता भी हैं। क्या आप जानते हैं कि स्कंदमाता की उपासना आपको जीवन के युद्ध में एक कुशल सेनापति बनने का बल प्रदान करती है?

स्कंदमाता कौन हैं? मां के स्वरूप की महिमा

स्कंदमाता देवी दुर्गा का पांचवां रूप हैं। इन्हें 'स्कंद' यानी कार्तिकेय जी की माता होने के कारण यह नाम मिला है। कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं, और उनकी माता होने के नाते स्कंदमाता में शक्ति और ममता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

मां का स्वरूप अत्यंत मनोहर है: वर्ण: पूर्णतः श्वेत (सफेद) - शांति और पवित्रता का प्रतीक आसन: कमल के पुष्प पर विराजमान - इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है भुजाएं: चार गोद में: बालरूप में स्कंद (कार्तिकेय) विराजित

मां के हाथों में: ऊपरी दाहिना हाथ: स्कंद जी को थामे हुए निचला दाहिना हाथ और एक बायां हाथ: कमल का पुष्प दूसरा बायां हाथ: अभय मुद्रा में - भक्तों को निर्भयता का वरदान

मान्यता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों पर वैसी ही कृपा बनाए रखती हैं जैसे एक मां अपने बच्चों पर। वे सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाली हैं।

2025 में नवरात्रि पंचमी पूजा का सही समय और मुहूर्त

नवरात्रि के पांचवें दिन की पूजा सही तिथि और मुहूर्त में करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। 2025 में:

तिथि परिवर्तन: चतुर्थी तिथि: 26 सितंबर, सुबह 9:34 बजे तक पंचमी तिथि प्रारंभ: 26 सितंबर, सुबह 9:34 बजे के बाद पंचमी तिथि समाप्त: 27 सितंबर, दोपहर 12:05 बजे तक

शुभ पूजा मुहूर्त (27 सितंबर 2025):

मुहूर्त का प्रकार समयावधि विशेषता
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:53 से 5:40 तक सर्वाधिक शुभ
प्रात: संध्या सुबह 5:17 से 6:28 तक दिवस का प्रारंभ
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:05 से 12:53 तक मध्याह्न का शुभ काल
संध्या काल शाम 6:30 से 7:42 तक सायंकालीन पूजा

स्कंदमाता को प्रसन्न करने के शक्तिशाली मंत्र

मां की आराधना में इन मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना जाता है:

  1. मूल मंत्र: ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः

  2. ध्यान मंत्र: सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।

  3. स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

  4. विशेष मंत्र: देवाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्।

स्कंदमाता की आरती: भक्ति के सुरों में मां का गुणगान

मां की आरती करते समय यह मनोहर आरती गाएं:
जय तेरी हो स्कंद माता पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा कई शहरो मैं तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाए तेरे भगत प्यारे
भक्ति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई 'चमन' की आस पुराने आई।

स्कंदमाता को चढ़ाने वाला विशेष भोग

मां को पीले रंग के भोग अत्यंत प्रिय हैं। यह रंग ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है:

  • केसरयुक्त खीर
  • पीली मिठाइयाँ (बेसन के लड्डू, सूजी का हलवा)
  • केला
  • पीले चावल
  • हल्दी का प्रयोग वाले व्यंजन

भोग लगाते समय मां से प्रार्थना करें कि वे आपको जीवन के संग्राम में विजयश्री प्रदान करें।

स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए विशेष उपाय

  1. पीले वस्त्र धारण करें: पूजा के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें
  2. दीप दान: मंदिर में या घर में पीले घी का दीपक जलाएं
  3. कमल का फूल: मां को कमल का फूल अर्पित करना विशेष शुभ माना जाता है
  4. सेवा भाव: किसी बच्चे या मां की सेवा करने का संकल्प लें

जीवन दर्शन: स्कंदमाता हमें क्या सिखाती हैं?

स्कंदमाता का स्वरूप हमें एक गहन जीवन दर्शन प्रदान करता है। मां हमें सिखाती हैं कि:

  • जीवन एक संग्राम है: हर दिन हम अपने भीतर और बाहर की नकारात्मक शक्तियों से लड़ते हैं
  • हम अपने सेनापति हैं: हमें स्वयं अपने जीवन का नेतृत्व करना सीखना चाहिए
  • ममता और शक्ति का समन्वय: कोमलता और शक्ति एक साथ रह सकती हैं
  • अभय का महत्व: मां की अभय मुद्रा हमें निर्भय होकर जीवन जीने की प्रेरणा देती है

निष्कर्ष

नवरात्रि का पांचवा दिन हमें मां के उस रूप से जोड़ता है जो हमें जीवन की लड़ाई लड़ने का साहस देती हैं। स्कंदमाता की पूजा न केवल हमें मातृत्व का आशीर्वाद देती है बल्कि हमारे भीतर एक कुशल सेनापति के गुणों का विकास भी करती है। इस नवरात्रि में मां के इस स्वरूप की सच्चे मन से आराधना करें और जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करें। क्या आपने इस नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा की योजना बनाई है? नीचे कमेंट में अपने विचार साझा करें।

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में वर्णित जानकारियों पर आधारित है। इसे सामान्य जानकारी के रूप में लें। किसी भी धार्मिक कृत्य को करने से पहले अपने गुरु या जानकार व्यक्ति से परामर्श अवश्य लें।

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Sumit Mishra

By Sumit Mishra

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