नवरात्रि सातवाँ दिन: माँ कालरात्रि - अंधकार को दूर करने वाली देवी की पूजा, मंत्र, भोग, रंग और कहानी

29 सितंबर 2025, सोमवार - यह तिथि नवरात्रि पर्व के सबसे शक्तिशाली और रहस्यमय दिनों में से एक के रूप में चिह्नित है। आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि, जो शाम 4:32 बजे तक रहेगी, हमें देवी दुर्गा के सातवें और अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप माँ कालरात्रि के सान्निध्य में ले जाती है।

नवरात्रि सातवाँ दिन: माँ कालरात्रि - अंधकार को दूर करने वाली देवी की पूजा, मंत्र, भोग, रंग और कहानी

इस दिन को महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, जो आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है। चलिए, आज हम माँ कालरात्रि के इस अद्भुत स्वरूप को विस्तार से समझते हैं।

माँ कालरात्रि का दिव्य स्वरूप और महत्व

माँ कालरात्रि का नाम सुनते ही अक्सर मन में एक भयावह छवि उभरती है, परंतु वास्तव में यह स्वरूप हमारे आंतरिक और बाह्य भय को समाप्त करने वाला है। 'काल' का अर्थ है समय या मृत्यु, और 'रात्रि' अंधकार का प्रतीक है - माँ वह शक्ति हैं जो इस अंधकार को दूर करती हैं।

माँ की चार भुजाएँ उनके बहुआयामी शक्ति को दर्शाती हैं: * दाहिनी ऊपरी भुजा: वरद मुद्रा में - भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं * दाहिनी निचली भुजा: अभय मुद्रा में - भय से मुक्ति का वचन देती हैं * बायीं ऊपरी भुजा: लोहे का काँटा - बुराइयों को दंडित करने का प्रतीक * बायीं निचली भुजा: खड्ग - अज्ञानता के अंधकार को काटने का प्रतीक

उनका वाहन गधा है, जो हमें सहजता और विनम्रता का संदेश देता है। माँ कालरात्रि का स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्तियाँ और मनोवैज्ञानिक भय दूर हो जाते हैं।

सातवें दिन का विशेष भोग और प्रसाद

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि को चढ़ाया जाने वाला भोग अत्यंत सरल परंतु शक्तिशाली है:

  • गुड़ और चना: यह संयोजन ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है
  • शहद: मधुरता और शुद्धता का प्रतीक, जो जीवन में मिठास लाता है
  • सात प्रकार के अन्न: कुछ परंपराओं में सात विभिन्न अन्नों का भोग चढ़ाया जाता है

इन सरल वस्तुओं के माध्यम से माँ हमें सिखाती हैं कि सादगी में ही सच्ची शक्ति निहित होती है।

माँ कालरात्रि के मंत्र और जाप विधि

माँ कालरात्रि की आराधना के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना गया है:

मूल मंत्र:

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

इस मंत्र के 108 बार जाप से मन की सभी नकारात्मकताएँ दूर होती हैं।

स्तुति मंत्र:

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि। जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥

इस मंत्र का अर्थ है: "हे चामुंडे देवी, आपकी जय हो! हे भूत-प्रेत की पीड़ा हरने वाली, आपकी जय हो! हे सर्वव्यापी देवी कालरात्रि, आपको मेरा नमन है।"

सातवें दिन का शुभ रंग: नीला, काला और ग्रे

नवरात्रि के सातवें दिन इन रंगों का विशेष महत्व है:

रंग प्रतीकात्मक अर्थ भावनात्मक प्रभाव
नीला अनंत आकाश, विशालता शांति और गहराई का भाव
काला रहस्य, शक्ति भय पर विजय
ग्रे संतुलन, व्यावहारिकता जीवन के उतार-चढ़ाव में स्थिरता

इन रंगों को धारण करने से हम माँ कालरात्रि की शक्ति से जुड़ पाते हैं।

माँ कालरात्रि की पौराणिक कथा

प्राचीन समय की बात है जब शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नामक राक्षसों ने पृथ्वी और स्वर्ग लोक में आतंक मचा रखा था। देवतागण इनके अत्याचारों से व्यथित होकर भगवान शिव के पास गए।

महादेव ने देवी पार्वती से इन राक्षसों का वध करने का अनुरोध किया। माँ पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया, परंतु रक्तबीज एक अद्भुत वरदान के कारण अजेय था।

रक्तबीज को यह वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की एक बूंद भी यदि धरती पर गिरे, तो उससे एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाएगा। इस चुनौती का सामना करने के लिए माँ दुर्गा ने अपने तेज से माँ कालरात्रि को प्रकट किया।

माँ कालरात्रि ने रक्तबीज के शरीर से निकलने वाले रक्त को धरती पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ और तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्ति मिली।

माँ कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥

खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥

महासप्तमी की विशेष बातें

  • इस दिन माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप विशेष फलदायी होता है
  • नीले या काले वस्त्र धारण करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है
  • सात प्रकार के दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है
  • इस दिन उपवास रखने वाले भक्तों के सभी प्रकार के भय दूर होते हैं

आज का संदेश:

माँ कालरात्रि हमें सिखाती हैं कि वास्तविक साहस बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति में निहित होता है। उनका भयावह स्वरूप हमें यह याद दिलाता है कि कभी-कभी बुराई का सामना करने के लिए हमें उससे भी अधिक शक्तिशाली बनना पड़ता है।

अंतिम विचार

नवरात्रि का सातवाँ दिन हमें अपने भीतर के सभी भयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। माँ कालरात्रि की कृपा से हमारे जीवन का हर अंधकार दूर हो और हम एक निडर और सशक्त जीवन की ओर अग्रसर हों। कालरात्रि माँ तेरी जय!

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Sumit Mishra

By Sumit Mishra

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