दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे चमकते सितारों में से एक, मोहनलाल, आज अपनी जीवन की सबसे बड़ी रोशनी खो चुके हैं। उनकी मां, शांताकुमारी, ने 30 दिसंबर, मंगलवार को केरल के कोच्चि में 90 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।

यह खबर न सिर्फ मोहनलाल और उनके परिवार, बल्कि उन करोड़ों प्रशंसकों के लिए एक गहरा सदमा है, जो इस महान अभिनेता के जीवन में उनकी मां की भूमिका से परिचित थे।
शांताकुमारी का स्वास्थ्य संघर्ष और अंतिम समय
शांताकुमारी कुछ महीनों से स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही थीं। [एक विश्वसनीय स्रोत के अनुसार], उन्हें कुछ समय पहले स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असमर्थ हो गई थीं। इस कठिन दौर में, वह अपने प्रियजनों से आंखों के इशारों के माध्यम से ही संवाद कर पाती थीं।
30 दिसंबर को उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और कोच्चि में उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 31 दिसंबर को संपन्न हुआ। यह दृश्य उस परिवार के लिए विशेष रूप से दर्दनाक रहा, जिसने पहले ही कई नुकसान झेले हैं।
मोहनलाल और मां का अटूट बंधन: सफलता का असली स्रोत
मोहनलाल ने कभी भी अपनी मां के प्रति अपने गहरे प्यार और सम्मान को छिपाया नहीं। वह अक्सर अपने इंटरव्यूज़ और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह स्वीकार करते थे कि उनकी हर उपलब्धि का श्रेय उनकी मां को जाता है। एक बार मदर्स डे पर लिखे अपने ब्लॉग में उन्होंने कहा था, "मैं दुनिया के किसी भी कोने में हूं, मेरी मां से बात किए बिना कोई दिन नहीं गुजरता।"
यह बंधन इतना गहरा था कि मोहनलाल ने अपने चैरिटेबल फाउंडेशन का नाम भी अपने माता-पिता, विश्वनाथन नायक और शांताकुमारी, के नाम पर रखा। यह उनके प्रति उनके सम्मान और कृतज्ञता का एक स्थायी प्रमाण है।
परिवार पर दोहरा दुख: पहले ही खो चुके थे पिता और भाई
मोहनलाल का परिवार पहले से ही दुख के बादलों से घिरा हुआ है। वह सालों पहले अपने पिता, विश्वनाथन नायक, और अपने बड़े भाई, प्यारेलाल, को खो चुके हैं। इन नुकसानों ने मां-बेटे के रिश्ते को और भी मजबूत बना दिया था।
दो साल पहले, मोहनलाल ने एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए बताया था कि कैसे स्ट्रोक के बाद भी उनकी मां की आंखों में वही अनंत स्नेह और समझ झलकती थी। उन्होंने लिखा था, "वह बोल नहीं सकतीं, लेकिन उनकी आंखें सब कुछ कह देती हैं।"
मलयालम सिनेमा जगत से श्रद्धांजलि
शांताकुमारी के निधन की खबर मिलते ही, मलयालम सिनेमा के दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया। विशेष रूप से, एक और सुपरस्टार, ममूटी, तुरंत मोहनलाल और उनके परिवार से मिलने और श्रद्धांजलि देने पहुंचे। यह दो प्रतिद्वंद्वी अभिनेताओं के बीच के सहयोग और मानवीय संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
शांताकुमारी की विरासत और मोहनलाल का भविष्य
शांताकुमारी ने न सिर्फ एक महान अभिनेता को जन्म दिया, बल्कि उन्होंने उन मूल्यों की नींव रखी जो आज भी मोहनलाल के व्यक्तित्व और कार्यों में दिखाई देते हैं—विनम्रता, परिवार के प्रति समर्पण, और दूसरों की मदद करने की भावना।
इस समय, मोहनलाल और उनका पूरा परिवार गहरे शोक में है। प्रशंसक और सिनेमा जगत उनके इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़े हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. मोहनलाल की मां शांताकुमारी की मृत्यु कब और कहाँ हुई? शांताकुमारी का निधन 30 दिसंबर, मंगलवार को केरल के कोच्चि शहर में हुआ।
2. शांताकुमारी की आयु क्या थी और वह किस बीमारी से पीड़ित थीं? वह 90 वर्ष की थीं और कुछ महीनों से बीमार चल रही थीं। उन्हें स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असमर्थ हो गई थीं।
3. मोहनलाल और उनकी मां के बीच कैसा रिश्ता था? मोहनलाल अपनी मां के अत्यंत करीब थे और अक्सर अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देते थे। उनका बंधन बहुत गहरा और भावनात्मक था।
4. क्या मोहनलाल के परिवार ने पहले भी ऐसा नुकसान झेला है? हाँ, मोहनलाल सालों पहले अपने पिता विश्वनाथन नायक और बड़े भाई प्यारेलाल को खो चुके हैं।
अंतिम विचार
शांताकुमारी का जाना न सिर्फ एक परिवार के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक युग का अंत है, जो मोहनलाल के काम और व्यक्तित्व से प्रेरित हैं। उनकी विरासत उनके बेटे के माध्यम से और उनके द्वारा स्थापित फाउंडेशन के कार्यों के माध्यम से जीवित रहेगी। इस कठिन समय में, हम मोहनलाल और उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और उन्हें शक्ति और सांत्वना की कामना करते हैं।