विजयदशमी या दशहरा क्यों मनाया जाता है इतिहास, शाब्दिक अर्थ, प्रथाएं - Dussehra History

नवरात्रि पर्व के बाद 10वें दिन Vijayadashami का पर्व मनाया जाता है 'विजयदशमी' को ही हम आम बोल चाल की भाषा में 'दशहरा' कहते हैं। यह सनातन धर्म का अप्रतिम त्योहार है जिसमे लोग 9 दिनों तक माता दुर्गा का व्रत रखने के बाद 10वें दिन इस त्योहार को मनाते हैं

dashahra kyu manate hai

आमतौर पर भारत वर्ष में 'नवरात्रि' में हर जगह 'रामलीला' का आयोजन होता है और इसी दिन "रावण दहन" या रावण का वध का आयोजन होता है।

क्यों मनाया जाता है "दशहरा या विजयदशमी" - Dussehra Celebration

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान रावण की लंका से माता सीता को मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा की नौ दिन लगातार उपासना करते हैं श्रीराम माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की उपासना कर उन्हे प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और 10वें दिन असुर शक्ति रावण का वध करते हैं इसी 10वें दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

'दशहरा' का शाब्दिक अर्थ

दशहरा शब्द हिंदी के दो अक्षरों के मेल से बना है "दस+हारा" इन दो अक्षरों में 'दश' का अर्थ है संख्या 'दस बुराइयां' और 'हारा' का मतलब है 'विनाश',दोनो शब्दो को संयुक्त करने पर मतलब होता है बुराई का नाश,रावण की बुराइयों का अंत हुआ था इस दिन।

आमतौर पर माना जाता है कि किसी व्यक्ति के अंदर 10 बुराइयां होती है अगर कोई इन पर विजय पा ले तो वह सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर सकता है वह बुराइयां हैं

  • काम
  • रोष
  • मोह
  • लालच
  • अभिमान या घमंड
  • विद्वेष
  • प्रयोजन अर्थात स्वार्थी होना
  • बेइंसाफी या नीति के विरुद्ध
  • अहम
  • मानवता को न मानना

इन बुराइयां पर जीत का संदेश है दशहरा।

“विजयदशमी” का शाब्दिक अर्थ

विजय अर्थात जीत और दशमी का शाब्दिक अर्थ दसवें दिन,आसुरी शक्तियों पर सत्य की विजय का दिन हम विजय दशमी के रूप में मनाते हैं।

‘दशहरा’ या ‘विजयदशमी’ का इतिहास (History Of Dussehra/Vijayadashami)

यह हिंदू संस्कृति के मुख्य त्योहारों में से एक है इस त्योहार को अश्विन(कुंवार) की नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है.इस बार यह त्योहार 24 October 2023 को मनाया जाएगा.सत्य की असत्य के विजय के संकेत के रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है इस त्योहार के इतिहास के बारे में बात करें तो इस त्योहार मनाने के पीछे दो मुख्य कहानियां प्रचलित हैं पहली श्रीराम की गाथा और दूसरी माता दुर्गा की।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार को मनाने का इतिहास माता दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच 9 दिनों के भीषण युद्ध के बाद दशम दिवस महिषासुर का वध होता है इसी दिन को विजयदिवस के रूप में इस दशहरा या विजयदाश्मी का आयोजन किया जाता है।

दशहरे में विभिन्न प्रदेशों में प्रथाएँ

भारत में पुरातन सभ्यता से कृषक प्रधान रहा है और कुंवार ऋतु में  किसान फसल काटकर अनाज अपने घर लाता है और इस हर्ष और उल्लास के रूप में नवरात्रि और पूजन के रूप में व्यक्त करता है इसे अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे महाराष्ट्र में 'सिलंगड़' कहा जाता है। इसमें अलग अलग प्रथाएं होती हैं जैसे महाराष्ट्र में "शमी" के पेड़ से पत्ते चुराने की प्रथा,बंगाल में दुर्गा पूजा,मैसूर में हाथियों को सजाकर सड़कों पर झांकी निकालना,उत्तर और मध्य प्रदेश में रामलीला का मंचन।

हिमाचल का दशहरा अत्यंत मनमोहक है पहाड़ी लोग एक हफ्ते पहले से तयारी करते हैं और सुंदर कपड़े साज सज्जा और वाद्य यंत्रों के साथ अपने ग्राम या कुल देवता की झांकी निकालते हैं पंजाब समेत समस्त उत्तर भारत में रावण दहन का आयोजन किया जाता है। समस्त उत्तर भारत में इस दिन पान खाने की प्रथा का उल्लेख भी है।

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अंतिम शब्द

दशहरा हिंदू सनातनी परंपरा का महत्वपूर्ण त्योहार है यह समस्त भारत वर्ष में ' अन्याय पर न्याय' की जीत या "असत्य पर सत्य की जीत" के उपलक्ष्य में मनाया जाता है इसके 15 दिन बाद रोशनी का त्योहार "दीपावली" मनाया जाता है।

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