हमारा देश भारत धार्मिक और संस्कृति का प्रतीक है प्राचीन काल में हम "विश्व गुरु" अपनी धरातली सोच, प्रकृति के साथ जुड़ाव और भिन्न भिन्न भौगोलिक स्थिति में निवास करने के बावजूद एकीकरण की सोच के साथ आगे बढ़ने की वजह से कहा जाता था।
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अपनी धार्मिकता और संस्कृति की पहचान आज भी त्योहार के रूप में मनाए जाते हैं वैसे तो सनातन सभ्यता में होली, दिवाली, नवरात्रि इत्यादि सहित अनेकों पर्व हैं लेकिन आज हम बात करेंगे "makar sankranti" त्योहार की, जानेंगे क्या है मान्यताएं के साथ पूरी जानकारी।
मकर संक्रान्ति नई शुरुवात का त्योहार Makar Sankranti Festival
मकर और संक्रान्ति दो शब्द हैं जहां मकर(Capricorn) एक राशि का नाम है वहीं संक्रांति का अर्थ होता है "समय का बदलाव" या समापन। अर्थात पौष महीने में जिस दिन सूर्य नारायण 'धनु' को छोड़कर 'मकर राशि' में गतिमान होते हैं और इसी दिन से 'खरमास'(गरू दिन) की समाप्ति होती है अर्थात विवाह, मुण्डन, बरीक्षा इत्यादि जैसे शुभकार्य की शुरूवात हो जाती है।
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इस दिन भगवान सूर्यनारायण की उपासना और उन्हें अर्क प्रदान करना शुभ और लाभदायक माना जाता है। महाभारत में जब भीष्मपितामह बाणों की शैय्या में लेटे थे तब शरीर छोड़ने के लिए इसी दिन का इंतजार किया था अतः यह दिन शुभता की शुरूवात का प्रतीक है। यह फेस्टिवल सम्पूर्ण भारत वर्ष के साथ थाईलैंड, कंबोडिया, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और लाओस में विभिन्न नामों से उत्सव मनाया जाता है।
2024 में मकर संक्रान्ति का त्योहार कब है
(Makar Sankranti kab hai) इस सवाल को लेकर बहुत से लोग कन्फ्यूज रहते हैं हम आपको ज्योतिष और पत्रा के अनुसार बता रहे हैं कि सूर्य 14 जनवरी की रात 2:44 मिनट में राशि बदलेगा अर्थात Makar Sankranti 2024 में 15 January को मनाई जाएगी।
हर साल यह त्योहार जनवरी माह के 14 या 15 तारीख को ही मनाया जाता है साल 1964 में पहली बार 15 जनवरी को मनाई गई थी इसके पहले 14 जनवरी और प्राचीन समय में 12 और 13 जनवरी को भी इस त्योहार को मनाया गया था।
मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है क्या है पौराणिक कथा
महाभारत, रामायण और कई उपनिषदों के अलावा लोक कथाओं में इस त्योहार की कहानी का वर्णन मिलता है इस त्योहार को मनाने के पीछे की कथा इस प्रकार है। कहा जाता है कि पिता सूर्य और पुत्र शनि के मध्य अनबन थी इसका कारण यह था कि सूर्य अत्यन्त चमकदार थे और शनि का रंग काला था जिसकी वजह से भगवान आदित्य का व्योहार अपनी पत्नी छाया और पुत्र शनि से ठीक नहीं था।
पहले जिस घर में शनि रहते थे उसका नाम कुंभ था जिसे सूर्यदेव ने जलाकर भस्म कर दिया था तब पुत्र यम ने अपने पिता सूर्यदेव को समझाया और उन्हे भाई शनि और माता के प्रति अच्छा बरताव के लिए मनाया परिणाम स्वरूप वह मान गए।
जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं तब वह देखते हैं कि शनि के घर पर सब कुछ जला होता है लेकिन फिर भी शनि ने उनका स्वागत काले तिल से किया इससे वह काफी प्रसन्न हो जाते हैं और पुत्र शनिश्चर को एक घर मकर देते हैं तब से शनि ग्रह का घर मकर राशि होता है और इस दिन जो भी सूर्य देव की आराधना काले तिल से करेगा उसका शनि अच्छा और लाभदायक रहेगा।
भारत के विभिन्न राज्यों में मकर सक्रांति के नाम
उत्तर भारत के कई राज्यों में इसे "खिचड़ी" के नाम से जाना जाता है इस दिन सुबह नदी में स्नान करने के बाद खिचड़ी खाई जाती है और पतंग उड़ाई जाती है।
- तमिलनाडु में ताइपोंगल और उझुवर तिरुनल नाम से जानते हैं।
- गुजरात और उत्तराखंड राज्य में इस फेस्टिवल को 'उत्तरायण' कहा जाता है।
- हरियाणा, पंजाब, हिमाचल में माघी नाम पुकारा जाता है।
- कश्मीर में इसे शिशुर सक्रांत कहा जाता है।
- पौष सक्रांति कर्नाटक में और बाकी बचे राज्यों में इसे मकर संक्रान्ति के ही नाम से जाना जाता है।
यह त्योहार शुभता का प्रतीक है कहीं नए आरंभ के लिए कहीं फसल को लेकर तो कहीं जरूरत मंद को दान देकर या नदियों में स्नान कर पूजा अर्चना कर मनाया जाता है यह संपूर्ण भारत के साथ साथ कई और देशों को जोड़ता है।
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समापन
भिन्न भिन्न भाषा बोली रहन-सहन होते हुए अनेकता में एकता के दर्शन भारत भूमि में ही हो सकते हैं त्योहार हमेशा शुभता के प्रतीक होते हैं तो कमेंट के माध्यम से बताइए कि आप किस राज्य से हैं और क्या है तरीका और किस नाम से जानते हैं इस नए शुरूवात वाले त्योहार मकर संक्रांति की।