UPPCS नॉर्मलाइजेशन विवाद: प्रयागराज में छात्र आंदोलन की बड़ी तैयारी, जानें पूरी खबर!

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आगामी परीक्षाओं पीसीएस और RO/ARO के प्री में आयोग की तरफ से नॉर्मलाइजेशन पद्धति लागू कर दी है जिसके विरोध में छात्रों ने गहरी नाराजगी जताई है।

UPPCS candidates protest against normalization issue in Prayagraj, November 11 movement

छात्रों का मानना है कि आयोग उनके मेहनत के अंकों को अनदेखा कर रहा है इस प्रक्रिया के असर उनके अंकों में नकारात्मक पड़ेगा, इस पद्धति को हटाने के लिए प्रतियोगी छात्रों द्वारा 11 नवम्बर को प्रयागराज में आंदोलन करने की तैयारी चल रही है।

प्रयागराज में छात्रों का आंदोलन 11 नवम्बर को

छात्रों द्वारा 11 नवम्बर को Uttar Pradesh Lok Seva Ayog के दफ्तर के बाहर गेट नम्बर दो में जमा होने को लेकर ट्विटर और सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है जब से इस प्रक्रिया का निर्णय हुआ है छात्रों में काफी आक्रोश है और वह प्रदर्शन कर अपनी मांगों को आयोग और सरकार तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं "No Normalization" और 'one Exam One Shift' जैसे हैसटैग सोशल मीडिया में विगत कई दिनों से देखे जा रहे हैं कई सारे शिक्षण संस्थानों से जुड़े पेज यह आंदोलन की खबर और छात्रों को एकत्र होने के लिए अनुरोध कर रहे हैं।

UPPCS में Normalization प्रक्रिया क्या है

पूर्व में भी ऐसी ही प्रक्रिया कई परीक्षाओं में "स्केलिंग" देखने को मिली थी जिस पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके हैं और अब नॉर्मलाइजेशन जैसी प्रक्रिया को लेकर छात्र लगातार आशंकित हैं कि यहां भी भ्रष्टाचार हो सकता है।

Normalization process concerns among UPPCS students regarding fairness and exam transparency

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में परीक्षाओं का आयोजन कई शिफ्ट में होता है और हर शिफ्ट के पेपर अलग अलग होते हैं और सारे पेपर सेट अलग होने के बावजूद कट ऑफ या मेरिट एक ही होती है ऐसे में जिस शिफ्ट का पेपर कठिन होता है वह सरल शिफ्ट वाले से कम नंबर पाता है और कट ऑफ में बाहर होने की संभावना बढ़ जाती है।

छात्रों की समस्याएं और उनकी मांगें

यहां पर यूपीपीसीएस व अन्य प्रतियोगी छात्रों की नॉर्मलाइजेशन के अलावा भी कई प्रकार की शिकायतें आयोग के प्रति रहीं हैं जैसे कि

  • छात्रों का कहना है कि आयोग एक प्रश्नपत्र ऐसा नहीं बना सकता जहां पर कुछ प्रश्नों में गलती न हो, हर पेपर में 5 से 8 प्रश्न गलत ही होते हैं।
  • पेपर एक ही शिफ्ट में होना चाहिए भले से ही कुछ दिन और पोस्टपोन हो जाए।
  • छात्रों का कहना है कि पिछली बार आंदोलन को यह कहकर शांत करा दिया गया था कि यह सामान्यीकरण की व्यवस्था लागू नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय छात्रों के साथ होगा

प्रतियोगी अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर आयोग और सरकार तरफ से इस व्यवस्था में कोई राहत नहीं दी जाती है तो वह जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, ऐसे में अगर छात्र कोर्ट जाते हैं तो हाल में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि

"परीक्षा के विज्ञापन के समय जो नियम परीक्षाओं को लेकर बनाए गए हैं वह पूरी भर्ती प्रक्रिया तक ज्यों का त्यों बने रहेंगे उनमें किसी भी प्रकार का अचानक बदलाव नहीं होना चाहिए वरना आर्टिकल 14 का उल्लंघन माना जाएगा।"  आर्टिकल 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है जो एक मौलिक अधिकार है।

क्या हो सकता है आगे का रास्ता

छात्रों के हित और सुविधा जनक प्रक्रिया के लिए सरकार और आयोग को कुछ बेहतर नीति बनानी पड़ेगी और बीच का रास्ता निकालना चाहिए, नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में बदलाव कर पुरानी पद्धति को अधिक सुविधाजनक बनानी चाहिए, और ठोस कदम उठाकर भविष्य में होने वाली परीक्षाओं को निष्पक्ष तरीके से कराएं, अगर ऐसा नहीं होता है तो निकल भविष्य में होने वाली प्रशानिक परीक्षाओं में इसका असर देखने को मिल सकता है और आंदोलन का स्तर दिनों दिन व्यापक हो सकता है।

READ ALSO:

निष्कर्ष

कई सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और कई प्रकार के लूप होल्स साबित होते आए हैं ऐसे में सरकार और संबंधित आयोगों को आवेदन अभ्यर्थियों को यह विश्वसनीयता दिलाना कर्तव्य हो जाता है कि छात्र केवल पढ़ें और आंदोलन में समय न गवाएं। 11 नवम्बर को प्रयागराज में होने वाला यह आंदोलन छात्रों की गंभीरता को प्रकट करता है कि वह अपने भविष्य को लेकर कितना चिंतित हैं। आप भी छात्र हैं तो कमेंट कर जरूर बताएं कि और आपकी क्या मांगें हैं? जो सरकार तक पहुँचना चाहिए।

Support Us

भारतवर्ष की परंपरा रही है कि कोई सामाजिक संस्थान रहा हो या गुरुकुल, हमेशा समाज ने प्रोत्साहित किया है, अगर आपको भी हमारा योगदान जानकारी के प्रति यथार्थ लग रहा हो तो छोटी सी राशि देकर प्रोत्साहन के रूप में योगदान दे सकते हैं।

Amit Mishra

By Amit Mishra

नमस्कार! यह हमारी टीम के खास मेंबर हैं इनके बारे में बात की जाए तो सोशल स्टडीज में मास्टर्स के साथ ही बिजनेस में भी मास्टर्स हैं सालों कई कोचिंग संस्थानों और अखबारी कार्यालयों से नाता रहा है। लेखक को ऐतिहासिक और राजनीतिक समझ के साथ अध्यात्म,दर्शन की गहरी समझ है इनके लेखों से जुड़कर पाठकों की रुचियां जागृत होंगी साथ ही हम वादा करते हैं कि लेखों के माध्यम से अद्वितीय अनुभव होगा।

Related Posts

Post a Comment