उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लोकसेवा आयोग के सामने हजारों की संख्या में छात्र एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं जब से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने UPPSC प्रीलिम्स और RO/ARO की परीक्षा को कई शिफ्ट में कराने का निर्णय लिया है तब से प्रतियोगी छात्र इसे हटाने के लिए सरकार और आयोग से मांग कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि यदि परीक्षा कई डेट और शिफ्ट में होगी तो इसमें नॉर्मलाईजेशन होगा और छात्रों के साथ भेदभाव होगा, देर शाम तक छात्र आंदोलन में बैठे हुए हैं और शाम के समय एक साथ मोबाइल के टॉर्च को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
सोशल मीडिया पर छात्रों को मिल रहा है समर्थन
हजारों की संख्या में आज प्रयाग राज में स्टूडेंट एकत्र हुए उनके हाथों में भगत सिंह के बैनर और One Day One Shift और No Normalization के साथ 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' जैसे नारों से लिखी तख्तियां थीं। दिल्ली के लक्ष्मी नगर में भी इस आंदोलन का नजारा देखने को मिला, सुबह लगभग 11 बजे से विद्यार्थी एकत्र हुए और दोपहर होते होते कई बार पुलिस और युवाओं के बीच नोंकझोंक हुई पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया इसके बावजूद भी युवा अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे, रात के समय भी छात्र आंदोलन में बैठे हुए हैं।
छात्र अपनी मांगों को जायज तरीके से आयोग के सामने रख रहे हैं और सोशल मीडिया पर #UPPCS_ROARO_ONESHIFT #UPPSC_No_Normalization हैशटैग ट्रेंड करा रहे हैं। और इसका समर्थन लगभग 2.5 लाख लोगों द्वारा किया गया है। अभी तक न तो आयोग और न ही सरकार की तरफ से कोई भी लिखित जवाब नहीं प्राप्त हुआ है।
"बंटेंगे नहीं, और न्याय मिलने तक हटेंगे नहीं"
— खुरपेंच (@khurpenchh) November 11, 2024
PCS 2024 की परीक्षा मार्च में आयोजित होनी थी लेकिन निकम्मे और नालायक आयोग और उसके अध्यक्ष RO और ARO की परीक्षा सही से नहीं कर पाए और परीक्षा लीक हो गई ,
बच्चों ने विरोध किया तो बच्चों के ऊपर लाठियां चलाई गईं , लेकिन बच्चे धूप और… pic.twitter.com/jvQeODedB8
राजनैतिक व्यक्तियों ने इस धरने पर क्या कहा है
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया है उन्होंने कहा कि जब छात्र अपनी मांग कर रहे तो भाजपा की सरकार हिंसक हो उठी, एक वीडियो भी साथ में पोस्ट किया है जिसमें कुछ पुलिसकर्मी छात्रों के प्रति हिसंक हो रहे हैं।
युवा विरोधी भाजपा का छात्राओं और छात्रों पर लाठीचार्ज बेहद निंदनीय कृत्य है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 11, 2024
इलाहाबाद में UPPSC में धांधली को रोकने के लिए अभ्यर्थियों ने जो जब माँग बुलंद की तो भ्रष्ट भाजपा सरकार हिंसक हो उठी। हम फिर दोहराते हैं : नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।
हम युवाओं के साथ हैं।… pic.twitter.com/YbTlaBSAgG
उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी X पर लिखते हैं कि छात्र शांति बनाए रखें और अपनी मांग करें और उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बारे में कहा कि उनकी सरकार में 2012 से 2017 तक खूब भ्रष्टाचार हुआ है तो छात्र उनके बहकावे में न आएं।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अपने शासनकाल में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार को याद रखना चाहिए। पुलिस अधिकारी संयमित व्यवहार करें और छात्रों पर बल प्रयोग न हो। प्रतियोगी छात्रों से अनुरोध है कि वे अपनी…
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 11, 2024
कई छात्र संगठन द्वारा भी ट्वीट के माध्यम सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कोट करके लिखा गया कि परीक्षा के बीच में नियम का बदलाव करना आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।
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RO/ARO और UPPSC उत्तर प्रदेश के 44 जिलों में है प्रस्तावित
जब से परीक्षा की दिनांक निर्धारित हुई तब से विद्यार्थियों ने विरोध करना शुरू कर दिया था और प्रदर्शन की सूचना की विगत 11 नवंबर को आयोग के गेट नंबर 2 के पास आंदोलन होगा, 21 नवम्बर को आयोग ने सभी 44 जिलाधिकारियों की बैठक बुलाई है दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी दी जाएगी। परीक्षा 2 दिनों में 4 पालियों में आयोजित होनी है UPPSC प्रीलिम्स में 5 लाख 75 हजार लोगों ने आवेदन किया है वहीं RO/ARO में यह संख्या 10 लाख से ज्यादा है।
आयोग को अगर परीक्षा एक ही शिफ्ट में पहले की तरह कराना है तो लगभग 1750 सेंटर की जरूरत पड़ेगी लेकिन वर्तमान में उनके पास 978 परीक्षा केंद्र ही उपलब्ध है।
निष्कर्ष
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लाखों की संख्या में हर साल विद्यार्थी सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं और यह सब विद्यार्थी बहुत ही गरीब और सामान्य वर्ग से होते हैं उनके साथ लाखों परिवारों के भविष्य की आस इन परीक्षाओं से जुड़ी होती है सरकार को चाहिए कि विद्यार्थियों की बात को सुनें और उन्हें संतुष्ट करे।
कई सालों से परीक्षाओं की पारदर्शिता में कमी आई है ऐसे में विद्यार्थी भी न्याय उचित बात कह रहे हैं और दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और उन्हें बल देता है कि बीच में किसी भी परीक्षा में बदलाव करना कानूनन उल्लंघन माना जाएगा, अब देखना यह है कि आने वाले समय में विद्यार्थी कब तक डटे रहते हैं और सरकार व आयोग किस निष्कर्ष तक पहुंचते हैं। आप क्या सोचते हैं इस विषय में कमेंट में जरूर बताएं।