वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में हृदय रोगों से मरने वालों की संख्या 28 लाख से भी ज्यादा है। इन आंकड़ों में 60 प्रतिशत मृत्यु IHD यानी हार्ट अटैक की वजह से हुई है। साल 2024 में यह संख्या लगभग 30 लाख पहुंच चुकी है।

हाल ही में चेन्नई के सवीथा मेडिकल कॉलेज में तैनात कार्डियोलॉजिस्ट (Chennai Doctor Heart Attack Death) की मौत हृदय घात से उस वक्त हो गई जब वह ड्यूटी पर तैनात थे, जो दूसरों का इलाज करते थे वह खुद उसी रोग के शिकार हो गए। इस दुखद घटना के बाद अनेकों सवाल उठते हैं जैसे तुरन्त दी जाने वाली ट्रीटमेंट पद्धति (गोल्डन आवर) कारगर है या नहीं?
युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हृदय रोग के मामले
इधर एक दो सालों की घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश की रहने वाली युवती ममता चौधरी जिसकी उम्र 20 वर्ष थी, पुलिस भर्ती फिजिकल की तैयारी करती थी, जॉगिंग करते समय हार्ट अटैक से मौत हो गई। हृदय आघात से Nirmal V Benny मलयाली अभिनेता 37 वर्ष, पुनीत राजकुमार, सिद्धार्थ शुक्ला जैसे नामी लोग भी बच नहीं पाए।

Dr. Gradlin Roy जिनकी उम्र 39 वर्ष थी वह खुद एक कॉर्डियोलॉजिस्ट सर्जन थे और जब उन्हें अटैक आया तब वह मरीजों का इलाज कर रहे थे। इसका मतलब है कि आसपास सारी सुविधाएं मौजूद थी, उनके स्टाफ ने तुरंत CPR दिया, खून पतली करने वाली दवाई दी जब इतने में राहत नहीं दिखी तो साथी डॉक्टरों ने आनन फानन में एंजियोप्लास्टी करके स्टंट भी डाला, लेकिन फिर भी उनकी जान को बचाया नहीं जा सका।
मॉडर्न मेडिकल साइंस के अनुसार हार्ट अटैक की मुख्य वजहें
अखबारों के अनुसार डॉ. ग्रैडलिन रॉय को सौ प्रतिशत ब्लॉकेज था तो ऐसे में सवाल उठता है कि इसके पहले क्या हार्ट ने कभी इंडिकेट नहीं किया, अगर ऐसा है तो और भी गंभीर मामला है। मेडिकल साइंस जो दावे करता है कि यदि किसी को हार्ट का आघात पड़े तो CPR व कुछ बेसिक दवाएं देकर जान बचाई जा सकती है ऐसे में इन बातों पर यकीन कर पाना मुश्किल हो सकता है, डॉक्टर्स की राय अनुसार ऐसे केसों में बचने की संभावना मात्र 10 से 20 प्रतिशत रह जाती है।
- हृदय रोग होने के पीछे मॉडर्न साइंस खराब जीवनशैली जैसे प्रोसेस्ड फूड, धूम्रपान, तनाव और वर्कआउट की कमी को मुख्य जड़ मानता है।
- कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार कोविड 19 महामारी के दौरान बीमार हुए लोगों में हार्ट संबंधित रोग होने की संभावना नार्मल लोगों की तुलना में 3 गुना तक है हालांकि ICMR इस बात को खारिज करता है।
- भारतीय लोगों जेनेटिकली छोटी कोरोनरी आर्टरीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस की जेनेटिक प्रवृत्ति इसके अलावा हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना भी हृदय रोग के कारण हो सकते हैं।
आयुर्वेद की दृष्टि में हृदय आघात (Heart Attack) के कारण
लखनऊ स्थिति शतभिषा क्लीनिक के आयुर्वेदाचार्य Dr Pradeep Chaudhary ने कहा कि मैं आयुर्वेद की दृष्टि से अगर देखता हूँ तो असली जड़ कहीं और दिखती है।

आचार्य चरक और आचार्य सुश्रुत दोनों एक बात कहते हैं ।
“वेगान् धारयतो रोगान् बहवः सम्प्रजायन्ते।” (चरक)
जो लोग शरीर के प्राकृतिक वेगों को रोकते हैं, उनमें अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
“वेगान् धारयतो मृत्युर्भवति।” (सुश्रुत)
वेगों को रोकने वाला मनुष्य मृत्यु तक को प्राप्त हो सकता है।
तेरह ऐसे वेग बताए गए हैं जिन्हें रोकना नहीं चाहिए। पेशाब, मल, गैस, छींंक, डकार, उल्टी, जम्हाई, आँसू, भूख, प्यास, नींद, हाँफ और वीर्य। इन्हें दबाने से शरीर का प्रवाह रुकता है और रोग बनते हैं।
दिल की सेहत संभालें, वरना देर हो जाएगी
डॉ राय और पिछले कुछ साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक बात पक्की हो जाती है कि हार्ट अटैक आने की कोई उम्र नहीं है और पिछले कुछ समय में नौजवानों के मामले बढ़े हैं ऐसे में आपको मॉडर्न साइंस के साथ आयुर्वेदिक प्राचीन स्वास्थ्य पद्धतियों का सहारा लेना पड़ेगा। एक तरफ जहां समय समय पर शरीर की जांच वहीं पर खान पान में अर्जुन की छाल, ओमेगा 3, त्रिफला, तुलसी, लहसुन अपने खाने के साथ योग या जिम को शामिल करें। वैसे आपने अपना स्वास्थ्य चेकअप कब करवाया था?