Mahatma Gandhi भारत के राष्ट्रपिता और 'वैश्विक महामानव' हैं महात्मा गाँधी को क्रांतिकारी कहें या दार्शनिक कहें या वैश्विक मार्गदर्शक हर उपाधि को वह अपनी जीवन यात्रा में छोटा साबित कर देते हैं।
बात रहन सहन की हो या उनके आलोचकों की गाँधी सब पर भारी पड़ते हैं उनका सादा जीवन उनका मार्गदर्शन विश्व विख्यात है उनका उस समय उनकी बात विश्व के हर महत्त्वपूर्ण व्यक्ति से पत्राचार होता रहता था।
लियो टॉलस्टॉय, आइंस्टीन और हिटलर जैसी सख्सियतों से विचारों का आदान प्रदान पत्राचार के माध्यम से होता रहता था, बहुत कम लोग जानते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले महात्मा गाँधी ने 'हिटलर' को पत्र लिखकर युध्द न करने की सलाह दी थी।
Mahatma Gandhi Untold Facts
आइये आज उनके जन्मदिन पर उनके जीवन से जुडे कुछ तथ्यों के बारे में जो एक साधारण से 'Mohandas' को 'Mahatma' बना दिये।
- Mahatma Gandhi की माता जी उनके पिता की चौथी पत्नी थी इसके पहले उनके पिता की 3 शादियां हो चुकी थी लेकिन तीनों पत्नियों की असमय मौत हो गई।
- महात्मा गांधी मात्र 15 साल की उम्र में पहली बार पिता बने जबकि उनकी शादी 13 वर्ष की उम्र में बाल विवाह हुई।
- गाँधी जब इंग्लैंड में पढ़ रहे थे तब रेडियो पर उन्होंने 'अमरीका' पर भाषण दिया था
- ब्रिटेन के उस समय के प्रधानमंत्री 'winston churchill' ने महात्मा गांधी को अधनंगा फकीर कहा था
- Apple company के फाउंडर Steve Jobs गाँधी के बहुत बड़े फैन थे वह महात्मा से इतना प्रभावित थे कि उनके जैसा गोल चश्मा पहनते थे
- महात्मा गाँधी को जब गोली मारी गयी थी तब उनके मुख से अंतिम शब्द 'हे राम' थे
- गीता पढ़ने की प्रेरणा उन्हें 'थियोसोफिकल सोसाइटी' द्वारा मिली
- गाँधी जी शुद्ध शाकाहारी भोजन पर विश्वास करते थे, वह 'शाकाहार समाज' संस्थान से जुड़े हुये थे
- गाँधीजी व्रत या उपवास और "श्रीमदभगवदगीता" पर अटूट आस्था थी
- गाँधीजी को बचपन मे प्यार से घर वाले उन्हें "मोनिया" कहकर संबोधित किया जाता था
- गाँधी जाति से 'पंसारी' थे गाँधी का मतलब हिंदी भाषा मे सुगंधित वस्तुएं बेचने वाला अर्थात इत्र बेचने वाला
- महात्मा गाँधी खाना खाने के दौरान वह आर्टिफिशियल टीथ सेट इस्तेमाल करते थे
- गाँधी जी शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए पैदल चलने को बेहतर उपाय मानते थे, कुछ तथ्यों के आधार पर माना जाता है कि गाँधी जी अपने जीवन काल मे 79000 किलोमीटर की यात्रा की। वह जब लंदन में पढ़ाई कर रहे थे तब किराए के पैसे बचाने के लिए रोज 10 km चलते थे।
- महात्मा गाँधी साबरमती आश्रम में रहने वाले बच्चों को जब भी पत्र लिखते थे तो उसमें एक बात का हमेशा जिक्र रहता था, वह बच्चों को लेखन यानी Writing में सुधार की बात कहते थे क्योंकि बापू की खुद की राइटिंग अच्छी नही थी उन्हें इस बात का अफसोस था
- गाँधी जी एक बकरी अपने आश्रम में रखते थे और वह बकरी का ही दूध का इस्तेमाल करते थे क्योंकि बकरी के दूध की प्रतिजैविक क्षमता अन्य दूध से ज्यादा होती है
- गाँधी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि पढ़ाई के शुरुआती दिनों में उनमे आत्मविश्वास की गहरी कमी थी क्योंकि वह किसी भी मुद्दे पर बहुत अधिक नही बोल पाते थे एक बार तो उन्होंने बताया कि एक भाषण के दौरान उनके पैर में वाइब्रेशन होने लगा और भाषण को फिर बैठे बैठे देना पड़ा
- एक बच्चे की माता गाँधीजी से साबरमती आश्रम आकर याचना की कि वह उनके छोटे बच्चे को "गुङ" न खाने के लिए बोला, ऐसा उस बच्चे की माँ ने अनेक बार याचना की लेकिन गाँधी हर बार बात टाल जाते टैब बच्चे की माँ ने कहा कि आप बच्चे को क्यों नही कहते तो महात्मा गांधी कहते हैं उन्हें खुद "गुङ" खाने की आदत है जब वह खुद खाना छोड़ देंगे तब उस बच्चे को मना कर पाएंगे, उन्हें गुङ छोड़ने में 15 दिन का समय लगा
- गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका की कोर्ट में वकालत के दौरान कई सारे केसेस अदालत के बाहर ही सुलझा देते थे, वह लोगों के बीच समझौता कराकर मामले को आपस मे रफा दफा करवाने की कोशिस करते थे
- महात्मा गाँधी जब 1917 में जब चम्पारन जाते है तब वहां के लोगों की गरीबी और लाचारी देखकर वस्त्र त्यागने का फैसला लिया और उनके जीवन का दूसरा पहलू सुख सुविधाओं को त्यागकर ब्रम्हचारी जीवन और स्वयं के बनाई हुई धोती में काटा,गाँधी जी का मानना था कि जब उनके देश के लोग तन भर कपड़े पहन नही पा रहे ऐसे में उन्हें भी यह अधिकार नही है ऐसे में अगर वह शूट बूट वाली जिंदगी जीते हैं तो यह मानवता के खिलाफ वाली बात होगी
- महात्मा गाँधी जी अपनी आत्मकथा"सत्य के साथ प्रयोग" में लिखते हैं कि वह कई बार अनेकों पहलू से गुजरते हैं और जैसे ब्रम्हचर्य और उपवास पर कई सारे प्रयोग किए, एक बार उन्होंने उपवास के बारे में लिखा कि वह उपवास इसलिए रखते थे क्योंकि वह प्रयोग कर रहे थे कि शरीर को कम से कम कितने खाने में जीवित रखा जा सकता है इसका परिणाम यह हुआ कि उनकी तबियत खराब हुई और डॉक्टर ने उन्हें उपवास छोड़ने की सलाह दी इसके बाद से वह हमेशा बकरी के दूध का सेवन करते थे
- गाँधीजी साउथ अफ्रीका में कुछ दिन के लिए ब्रिटिश आर्मी के लिए भी काम किया था उस समय साउथ अफ्रीका ब्रिटिश हुकूमत के आधीन था
- महात्मा गांधी ने अपनी 60 वर्ष की उम्र में 'दांडी मार्च' किया था इस यात्रा में लगभग 390 किलोमीटर की यात्रा की थी
- गाँधी जी का जो फ़ोटो नोटों पर लगा होता है वह फ़ोटो 1946 में लिया गया चित्र है बाद में तकनीकी सहायता द्वारा उसे नोटों पर लगाया गया
- महात्मा गंधीजी को नोबेल प्राइज की ओर से 5 बार नॉमिनेट किया गया लेकिन जब 1948 में चुना गया तब उनकी हत्या हो चुकी थी यह सुनकर नोबेल प्राइज कमेटी ने उस साल पुरुस्कार न देने का फैसला किया
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अन्तिम शब्द
Mahatma Gandhi आधुनिक युग के मार्गदर्शक हैं उनके दौर का कोई भी देश हो या कोई भी व्यक्तित्व कोई भी उनसे अछूता नही है, जन आंदोलन की बात हो, अहिंसा, सत्य या शोषित समाज की बात हो गाँधी हर जगह से मार्गदर्शक के तौर पर खड़े दिखाई देते हैं गाँधी की 'मानवता' मुल्क की सीमाओं से परे थी,गाँधी कल भी थे आज भी हैं और आगे भी अमर रहेंगे।