सावरकर का माफीनामा, कालापानी जेल यात्रा और उनकी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण तथ्य : Vinayak Damodar Savarkar Intresting Life Facts :

पिछले कुछ समय से हमारे वतन में आजादी के क्रांतिकारियों और नायकों को लेकर दो धड़े बन गए हैं नायक बनाम नायक की वैचारिक लड़ाई कई सवालों के घेरे में फंसा डालती है।

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इसी बहसा बहसी में एक नाम कई बार आता है Vinayak Damodar Savarkar का, इनसे जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य जिन्हें सुनकर आप चौंक जाएंगे।

Vinayak Damodar Savarkar का जीवन परिचय

सावरकर आजादी के समय उन क्रांतिकारियों में शुमार हैं जिन्हे "काला पानी" की सजा हुई थी एक धड़ा उन्हे 'वीर' तो दूसरा 'माफीवीर' कहता है कभी आजादी के नायकों में उनके समर्थक उन्हें गांधी से आगे खड़ा कर देते हैं तो विरोधी विचारक इस बात का पुरजोर खंडन करते हैं। 

नासिक में जन्मे 28 मई 1883 को जन्मे विनायक 15 साल की उम्र आने तक में माता राधा बाई और पिता दामोदर पंत सावरकर स्वर्ग लोक चले गए, शिक्षा की बात की जाए तो पुणे के फारग्युशन कालेज से B.A की डिग्री प्राप्त की और लंदन से कानून की पढ़ाई की इनके 2 भाई और एक बहन थी तथा पत्नी का नाम यमुनाबाई था, 26 फरवरी 1966 को 82 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया।

सावरकर की मृत्यु का कारण उनका उपवास था अपना शरीर छोड़ने के लगभग 2 बरस यानी की 1964 में उन्होंने "आत्महत्या" अथवा "आत्मसमर्पण" नाम से लेख लिखा था जिसका मतलब उन्होंने समझाया कि जीवन की निरर्थकता में लोग आत्महत्या चुनते हैं और उद्देश्य पूरा होने पर आत्मसमर्पण और इसीलिए उन्होंने अंतिम एक महीना किसी दवाई और खाना के बिताया।

Vinayak Savarkar के जीवन से जुड़े कुछ हैरान करने वाले रोचक तथ्य

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन से सावरकर को भारत रत्न देने की अपील की थी किन्तु कुछ विशेष कारणों का जिक्र कर उन्हे यह सम्मान नही दिया गया। ऐसा मानते हैं कि सावरकर आजादी के समय राष्ट्रीयता के चोगे में हिंदुत्व को सिंचित करने वाले पहले नेता थे। राजनीतिक गलियारे में आज भी भारत रत्न से नवाजने की बात की कानाफूसी होती है सावरकर से जुड़े कुछ विवाद और तथ्यों की बात करते हैं।

महत्मा गाँधी की हत्या के मास्टरमाइंड मानने का आरोप

गाँधीजी की हत्या करने के बाद नाथूराम गोडसे ने सबसे पहले सावरकर का आशीर्वाद लिया था गाँधी हत्या में नामजद रहे और कई वर्षों तक इन पर मुकदमा चला, गाँधी मामले में बरी होने के बाद दोबारा जांच के कपूर कमेटी का गठन किया गया और इनकी रिपोर्ट्स में भी विनायक मुख्य अभियुक्त थे।

महात्मा गांधी से सावरकर की लंदन में मुलाकात

जब सावरकर लंदन में पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान महात्मा गांधी का लन्दन प्रवास हुआ और वहां पर रह रहे भारतीयों से मिलने इंडिया हाउस गए जहां विनायक भी थे गांधी जब उनके कमरे में दाखिल हुए उस समय सावरकर "झींगे" पका रहे थे और उन्होंने मोहनदास को भी खाने का ऑफर दिया लेकिन गांधी शाकाहारी होने की वजह से मना कर दिया तब जवाब में कहा कि "बिना जानवरों का प्रोटीन खाए इन अंग्रेजों से आजादी कैसे ले पाओगे"।

नाशिक के कलेक्टर जैक्सन की हत्या में नामजद

अपने मुखर राजनैतिक विचारों की वजह से उन्हें कालेज से सस्पेंड कर दिया गया था और नाशिक में एक कलेक्टर जैक्सन की हत्या में नामजद होने पर 1910 गिरफ्तार होने का आदेश दिया गया। लंदन से शिप से लाते समय समुंद्र में छलांग लगाकर भागने की कोशिश की लेकिन असफल रहे इसके बाद से ही उन्हें अंग्रेजी हुकूमत द्वारा 25 - 25 बरस की दो सजाएं सुनाई गई और अंडमान की भयावह सेलुलर जेल भेज दिया गया। 

वीर सावरकर की माफी का सच और उनकी जेल यात्रा

अंडमान में कैदियों को भयानक यातनाएं दी जाती थीं जेल में कैदियों के साथ बहुत दुरव्योहार होता था अंग्रेजी अधिकारियों की बग्घी खींचने से लेकर कोल्हू बैल की तरह नारियल से तेल निकालने तक का काम करवाया जाता था और भोजन भी भरपेट नही दिया जाता था।

Savarkar Mafinama

  • सावरकर काला पानी की जेल में 10 वर्ष 9 माह तक कैद रहे।
  • 4 जुलाई 1911 को वह पहली बार पोर्ट ब्लेयर की जेल में गए और 29 अगस्त 1911, यानी की 2 महीने में ही उन्होंने अपना पहला माफीनामा लिखा।
  • जेल में जो फांसी का कक्ष था वह उनके कमरे के बगल से था जहां हर एक दो माह में कैदियों को फांसी होती थी।
  • अपने 10 बरस के कारावास के दौरान 4 बार उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों को माफीनाम लिखा और कहा कि वह कभी भी अंग्रेजी हुकूमत का विरोध नही करेंगे।
  • 1920 में सरदार पटेल और तिलक की अनुशंसा पर अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें अंडमान से छोड़ दिया गया।
  • 1921 में वह पुणे की यरवदा जेल गए और वहां 3 साल बाद अंग्रेज सरकार को माफी याचिका लिखी सरकार ने उन्हें दो शर्तों के आधार पर मुक्त किया पहली शर्त यह कि वह राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेंगे दूसरा कि रत्नागिरी से बाहर जाने के लिए हुकूमत से परमिशन लेनी होगी।
  • विनायक दामोदर कई बार अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे और 1938 में इसे राजनीतिक संगठन घोषित कर दिया।
  • अंग्रेजी हुकूमत से उन्हे 60 रुपए की पेंशन के रूप में मिलते थे इस पर काफी सारे विवाद हैं और माफीनामा लिखने के पीछे उनके समर्थक बताते हैं कि यह एक साजिश थी कि बाहर आकर अंदरूनी तौर पर आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए।

समाप्ति

हाल ही में Swatantra Veer Savarkar Movie का ट्रेलर लॉन्च हुआ है जिस पर मुख्य भूमिका रणदीप हुड्डा निभा रहे हैं इसलिए चर्चाओं में एक बार फिर से विनायक का नाम चल रहा है। सावरकर के दो पहलू नजर आते हैं एक जेल जाने के पहले और दूसरा वहा से आने के बाद का बदलाव बहुत अंतर पैदा करता है हमारा मानना यह है कि आजादी की लड़ाई में तिल भर का योगदान दिया है वह सम्माननीय हैं।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

नमस्कार! यह हमारी टीम के खास मेंबर हैं इनके बारे में बात की जाए तो सोशल स्टडीज में मास्टर्स के साथ ही बिजनेस में भी मास्टर्स हैं सालों कई कोचिंग संस्थानों और अखबारी कार्यालयों से नाता रहा है। लेखक को ऐतिहासिक और राजनीतिक समझ के साथ अध्यात्म,दर्शन की गहरी समझ है इनके लेखों से जुड़कर पाठकों की रुचियां जागृत होंगी साथ ही हम वादा करते हैं कि लेखों के माध्यम से अद्वितीय अनुभव होगा।

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