'महात्मा' के 'लाल' और गाँधीवादी जीवन वाले लालबहादुर शास्त्री की जयंती विशेष - Connection between Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri

राष्ट्रपिता Mahatma Gandhi और पूर्व प्रधानमंत्री Lal Bahadur Shastri की जयंती 2 October को पूरा देश मना रहा, महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था वहीं लाल बहादुर का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था आइये जानते हैं महात्मा गांधी के नारे "करो या मरो" को शास्त्री जी ने क्यों बदल दिया था

Connection Between Shashtri Ji And Gandhi Ji

लाल बहादुर शास्त्री का सम्पूर्ण जीवन सादगी पूर्ण और स्वालंबी रहा या यूं कहें कि सच्चे मायने में "गाँधीवादी" थे. भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अहम रहा है वह कई बार जेल भी गए और उनकी तार्किकता और सूझ बूझ के भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी कायल थे यही कारण था कि नेहरू उन्हें अपना करीबी मानते थे.जब नेहरू प्रधानमंत्री थे तब वह देश के गृहमंत्री रहे।

स्वाधीनता की लड़ाई में 1921 में 'असहयोग आन्दोलन' में गाँधी जी के मार्गदर्शन में सक्रिय भूमिका निभाई 1930 के दांडी मार्च और 1942 के असहयोग आंदोलन में महात्मा गाँधी के मुख्य सिपाही रहे।

जब शास्त्री ने गाँधी के नारे को बदल दिया

  • बात 9 अगस्त 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' की है उस समय ब्रिटिश क्राउन बुरी तरह "द्वितीय विश्व युद्ध" मे उलझा हुआ था.
  • दूसरी तरफ सुभाषचंद्र बोस ने "आजाद हिंद फौज" को 'दिल्ली चलो' का नारा दिया।
  • तीसरी तरफ महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 की रात को अंग्रेजो 'भारत छोड़ो' और 'करो या मरो' नारा दिया
  • 9 अगस्त को ही 'काकोरी दिवस' में बड़े जान समुदाय का सड़कों में आना था

अब बारी थी भारत के 'लाल' की, गाँधी को उधर पुणे में अंग्रेजी सरकार ने नजरबन्द कर दिया और इधर लाल बहादुर शास्त्री इलाहाबाद पहुँचकर जनता को "मरो नही मारो" का नारा देकर जनता में प्रचण्ड उत्तेजना आंदोलन के प्रति बढ़ा दी परिणाम यह हुआ कि देश के कोने कोने में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद हुई, लालबहादुर शास्त्री 11 दिनों तक गायब होकर आंदोलन को हवा देने का काम करते रहे, 11 दिन बाद 19 अगस्त को वह गिरफ्तार हो गए।

असल मायने में शास्त्री असल "गाँधीवादी" और महात्मा के सच्चे सिपाही थे।

लाल बहादुर शास्त्री का आज जन्मदिन है आज के परिवेश में कई राजनीतिक दल उन्हें अपना-अपना नेता बनाने की खीचम तान में लगे रहते हैं कई बार तो गाँधी और शास्त्री जी को आमने सामने कर दिया जाता है लेकिन असल में गाँधी,शास्त्री के वैचारिक आदर्श हैं वह गांधी के पीढ़ी के अग्रज कहे जा सकते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री ने अपना सम्पूर्ण जीवन गाँधी के मूल्यों और आदर्शों को समर्पित कर दिया, उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन।

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निष्कर्ष।

लाल बहादुर शास्त्री जी गांधीवादी थे और वह गांधी जी को आदर्श मानते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी के सरल स्वभाव के पीछे उनके विचार थे क्योंकि उन्होंने सहजता देखी थी।

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Mishra Ji

Author: Mishra Ji

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