दीपावली में पूजा (Diwali/Deepwali Puja) कैसे की जाती है? क्या है कलश स्थापना की विधि, जानें दिवाली मुहूर्त - Diwali Puja Vidhi, Muhurat

दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म में सभी महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है इस त्यौहार में मां लक्ष्मी की पूजा के साथ कुबेर जी और मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पूरे घर की साफ सफाई की जाती है और घर को तरह तरह की चीजों से सजाया जाता है।

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पूरे भारत में मनाने के साथ-साथ यह त्यौहार विश्व के अनेक देशों में मनाया जाता है और इस दिन ऑफिशियल हॉलीडे भी होता है। इस साल दीपावली त्यौहार 24 अक्टूबर 2022 को पूरे भारत देश में मनाया जा रहा है दिवाली का त्यौहार एक प्रकाश का त्यौहार है जिसे कार्तिक माह की पूर्णिमा (Mid -October) के दिन मनाया जाता है।

यह त्यौहार विजयदशमी के बाद बीसवें दिन और करवा चौथ के लगभग 12 दिन बाद मनाया जाता है। आइए जानते हैं दीपावली की पूजा का मुहूर्त (Deepawali Muhurat), दीपावली पूजन की विधि, दीपावली के कलश की स्थापना के बारे में।

दिवाली पूजन की तैयारियां (Diwali/Deepawali Puja)

इस दिन घर के सभी सदस्य सुबह में जल्दी उठकर घर की अच्छे से साफ सफाई करते हैं। फिर साफ सफाई के बाद नहा धोकर मां लक्ष्मी की पूजन की तैयारी में लग जाते हैं। लोग अपने घरों को दीयो से तरह-तरह के रंगों की लाइटों से,फूल मालाओं से सजाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं। फिर शाम के समय सभी अच्छे से तैयार होकर नए नए वस्त्र धारण करके मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं।

दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali Puja Muhurat)

इस साल Diwali की पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) शाम को 6:53 से 8:16 तक का है इसी मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। हमारे हिंदू धर्म में पूजन विधियों का विशेष महत्व माना जाता है। इन विधियों द्वारा ही हम अपने देवी देवताओं को प्रसन्न करते हैं चलिए जानते हैं दिवाली की पूजा में मां लक्ष्मी की पूजन विधि।

दिवाली पूजन की विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दिवाली में साफ सफाई का विशेष महत्व है तो पूरे घर की साफ सफाई के साथ पूजा स्थान की भी साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए तथा पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करनी चाहिए, चौकी को साफ करके उस पर गंगाजल का छिड़काव करें तथा उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछायें। अब इस पर मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें ध्यान रखिए कि मां लक्ष्मी की मूर्ति हमेशा गणेश भगवान की दाहिनी तरफ विराजमान होगी इन मूर्तियों के नीचे चावल के ढेर रख दें। गणेश भगवान और लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ-साथ विष्णु भगवान की मूर्ति को भी विराजमान करें  लक्ष्मी जी के साथ विष्णु जी की आरती पूजन आवश्यक है। साथ ही सरस्वती माता तथा कुबेर जी की भी मूर्ति को स्थापित करें।

पूजन में कलश की स्थापना (Diwali Puja Kalash Sthapana)

पूजा में कलश की स्थापना  भी करें तांबे या पीतल का कलश ले उस पर स्वास्तिक का चित्र बनाएं कंठ में मौली को बांधे इसके साथ आम के पांच, साथ या ग्यारह पत्तों को लेकर उस पर रोली कुमकुम लगाएं और कलश पर रखें। कलश में गंगा जल के साथ-साथ शुद्ध जल का प्रयोग करें। इसके अलावा कलश में-

  • चंदन
  • दूर्वा
  • पंचरत्न
  • सुपारी
  • एक हल्दी की गांठ
  • एक कमलगट्टे का बीज
  • गोमती चक्र
  • कुछ सिक्के और इत्र को भी इसमें डालें।

आम के पत्तों पर चावल से भरी एक कटोरी रखें अब इस कलश पर नारियल स्थापित करें नारियल स्थापित करने के पहले नारियल पर गंगाजल  छिड़ककर स्नान करा ले नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर उसे कलावा से लपेटे फिर इसे कलश पर स्थापित करें ध्यान रहे नारियल का मुख आपकी तरफ होना चाहिए। इसके बाद चौकी की दाहिनी तरफ अष्टदल कमल स्थापित करें पीले चावलों से। फिर इसके बाद नवग्रहों की स्थापना भी गेहूं और चावलों की ढेंरियो  से करें  3-3 के क्रम में तथा इन पर एक-एक सुपारी या सिक्का रख सकते हैं। इसके बाद षोडश मातृका की स्थापना करें 4-4 के क्रम में करें इसे भी गेहूं और चावल की ढेरीओं से बनाएं इन पर भी एक-एक हल्दी की गांठ या सिक्का रख सकते हैं।

Noteनौ ग्रह और षोडश मातृका के बीच में स्वास्तिक जरूर बनाना चाहिए।

चौकी सजाने के बाद दो दीपक जलाएं एक दीपक मूर्ति के चरणों में दूसरा दीपक चौकी के दाहिने और अगर संभव हो तो दीपक देसी घी का जलाएं तथा उसमें केसर डाल दें इससे सुख समृद्धि का वास होता है। फिर सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन दूर्वा, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप तथा पुष्प में भगवान गणेश को गेंदे की माला या गुड़हल  के फूलों द्वारा भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। अब इसी प्रकार मां लक्ष्मी का पूजन करें उन्हें भी कमल के पुष्प या गुलाब के पुष्प की माला भेंट करनी चाहिए। और इसी प्रकार कलश का पूजन करें भगवान विष्णु की भी पूजा इसी प्रकार करें उन्हें कि सर और हल्दी का तिलक लगाएं षोडश मातृका और नवग्रह की भी पूजा इसी अनुसार करनी चाहिए तथा वस्त्र के रूप में थोड़ा-थोड़ा कलेवा उन्हें अर्पित करना चाहिए  अब सभी देवी देवताओं को नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त अपने गहने तथा धनतेरस पर लिए गए वस्तुओं की भी पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा के समय उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। लक्ष्मी सहस्त्रनाम तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें कमल गट्टे की माला से जाप करें तथा श्री सूक्त का पाठ इस दिन बहुत लाभकारी माना जाता है इसे 8 बार यह 16 बार किया जाना बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें तथा इनकी पूजा में तीन बार शंख बजाना चाहिए।

Noteमूर्तियां अगर धातु की है तो उन्हें पुनः पूजा स्थल पर स्थापित करें पूजन के बाद और मूर्तियां अगर मिट्टी की है तो उन्हें पूजन के बाद विसर्जित कर दें।

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निष्कर्ष।

इस प्रकार दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधि पूर्वक करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है और मां प्रसन्न होती हैं।

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