दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म में सभी महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है इस त्यौहार में मां लक्ष्मी की पूजा के साथ कुबेर जी और मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पूरे घर की साफ सफाई की जाती है और घर को तरह तरह की चीजों से सजाया जाता है।

पूरे भारत में मनाने के साथ-साथ यह त्यौहार विश्व के अनेक देशों में मनाया जाता है और इस दिन ऑफिशियल हॉलीडे भी होता है। इस साल दीपावली त्यौहार 20 अक्टूबर 2025 को पूरे भारत देश में मनाया जा रहा है दिवाली का त्यौहार एक प्रकाश का त्यौहार है जिसे कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
यह त्यौहार विजयदशमी के बाद बीसवें दिन और करवा चौथ के लगभग 12 दिन बाद मनाया जाता है। आइए जानते हैं दीपावली की पूजा का मुहूर्त (Deepawali Muhurat), दीपावली पूजन की विधि, दीपावली के कलश की स्थापना के बारे में।
दिवाली पूजन की तैयारियां (Diwali/Deepawali Puja)
इस दिन घर के सभी सदस्य सुबह में जल्दी उठकर घर की अच्छे से साफ सफाई करते हैं। फिर साफ सफाई के बाद नहा धोकर मां लक्ष्मी की पूजन की तैयारी में लग जाते हैं। लोग अपने घरों को दीयो से तरह-तरह के रंगों की लाइटों से,फूल मालाओं से सजाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं। फिर शाम के समय सभी अच्छे से तैयार होकर नए नए वस्त्र धारण करके मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं।

पूजन की तैयारी को क्रमवार कुछ इस प्रकार करना है
- साफ-सफाई
- पूजा स्थान का चयन
- मूर्ति या तस्वीरें
- कलश स्थापना
- दीपक और सजावट
- सामग्री जुटाना
- माला और फूल
- लक्ष्मी पूजन की विधि
- धन और व्यवसाय की पूजा
- नैवेद्य अर्पण
- नए कपड़े पहनना और प्रसाद वितरण
दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार हर साल दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है लेकिन 2025 में अमावस्या 20 October और 21 अक्टूबर दोनों दिनों में पड़ रही है ऐसे में यह उलझन का विषय है कि आखिर दीपावली किस दिन मानना चाहिए। हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 की शाम 5 बजकर 54 मिनट तक है उत्तर भारत में मुख्यत यह त्यौहार 20 अक्टूबर के दिन श्री लक्ष्मी गणेश जी की पूजा के साथ मनाया जाएगा।
दिवाली पूजन की विधि (Diwali Pujan Vidhi)
दिवाली में साफ सफाई का विशेष महत्व है तो पूरे घर की साफ सफाई के साथ पूजा स्थान की भी साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए तथा पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करनी चाहिए, चौकी को साफ करके उस पर गंगाजल का छिड़काव करें तथा उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछायें। अब इस पर मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें ध्यान रखिए कि मां लक्ष्मी की मूर्ति हमेशा गणेश भगवान की दाहिनी तरफ विराजमान होगी इन मूर्तियों के नीचे चावल के ढेर रख दें। गणेश भगवान और लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ-साथ विष्णु भगवान की मूर्ति को भी विराजमान करें लक्ष्मी जी के साथ विष्णु जी की आरती पूजन आवश्यक है। साथ ही सरस्वती माता तथा कुबेर जी की भी मूर्ति को स्थापित करें।

- मूर्तियां स्थापित होने के बाद पवित्र मन से गंगा जल का छिड़काव करें।
- चन्दन सुगंधि और सारे भगवानों को टीका लगाएं।
- मीठा, नारियल, पंचमेवा और फल फूल अर्पण करें।
- लक्ष्मी माता को हमेशा कमल का पुष्प अर्पण करें।
- धनतेरस में खरीदे गए वस्तुओं को टीका लगाकर पूजा करें।
- धूप, अगरबत्ती और दीपक जलाकर गणेश और लक्ष्मी जी की आरती करें, आरती में कपूर को सम्मिलित करें और घंटी बजाएं।
- अंत में प्रसाद खुद भी खाएं और अपने मोहल्ले में जरूर बंटवाएं।
दिवाली पूजन में कलश की स्थापना (Diwali Puja Kalash Sthapana)
पूजा में कलश की स्थापना भी करें तांबे या पीतल का कलश ले उस पर स्वास्तिक का चित्र बनाएं कंठ में मौली को बांधे इसके साथ आम के पांच, साथ या ग्यारह पत्तों को लेकर उस पर रोली कुमकुम लगाएं और कलश पर रखें। कलश में गंगा जल के साथ-साथ शुद्ध जल का प्रयोग करें। इसके अलावा कलश में-

- चंदन
- दूर्वा
- पंचरत्न
- सुपारी
- एक हल्दी की गांठ
- एक कमलगट्टे का बीज
- गोमती चक्र
- कुछ सिक्के और इत्र को भी इसमें डालें।
आम के पत्तों पर चावल से भरी एक कटोरी रखें अब इस कलश पर नारियल स्थापित करें नारियल स्थापित करने के पहले नारियल पर गंगाजल छिड़ककर स्नान करा ले नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर उसे कलावा से लपेटे फिर इसे कलश पर स्थापित करें ध्यान रहे नारियल का मुख आपकी तरफ होना चाहिए। इसके बाद चौकी की दाहिनी तरफ अष्टदल कमल स्थापित करें पीले चावलों से। फिर इसके बाद नवग्रहों की स्थापना भी गेहूं और चावलों की ढेंरियो से करें 3-3 के क्रम में तथा इन पर एक-एक सुपारी या सिक्का रख सकते हैं। इसके बाद षोडश मातृका की स्थापना करें 4-4 के क्रम में करें इसे भी गेहूं और चावल की ढेरीओं से बनाएं इन पर भी एक-एक हल्दी की गांठ या सिक्का रख सकते हैं।
Note: नौ ग्रह और षोडश मातृका के बीच में स्वास्तिक जरूर बनाना चाहिए।
चौकी सजाने के बाद दो दीपक जलाएं एक दीपक मूर्ति के चरणों में दूसरा दीपक चौकी के दाहिने और अगर संभव हो तो दीपक देसी घी का जलाएं तथा उसमें केसर डाल दें इससे सुख समृद्धि का वास होता है। फिर सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन दूर्वा, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप तथा पुष्प में भगवान गणेश को गेंदे की माला या गुड़हल के फूलों द्वारा भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। अब इसी प्रकार मां लक्ष्मी का पूजन करें उन्हें भी कमल के पुष्प या गुलाब के पुष्प की माला भेंट करनी चाहिए। और इसी प्रकार कलश का पूजन करें भगवान विष्णु की भी पूजा इसी प्रकार करें उन्हें कि सर और हल्दी का तिलक लगाएं षोडश मातृका और नवग्रह की भी पूजा इसी अनुसार करनी चाहिए तथा वस्त्र के रूप में थोड़ा-थोड़ा कलेवा उन्हें अर्पित करना चाहिए अब सभी देवी देवताओं को नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त अपने गहने तथा धनतेरस पर लिए गए वस्तुओं की भी पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा के समय उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। लक्ष्मी सहस्त्रनाम तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें कमल गट्टे की माला से जाप करें तथा श्री सूक्त का पाठ इस दिन बहुत लाभकारी माना जाता है इसे 8 बार यह 16 बार किया जाना बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें तथा इनकी पूजा में तीन बार शंख बजाना चाहिए।
Note: मूर्तियां अगर धातु की है तो उन्हें पुनः पूजा स्थल पर स्थापित करें पूजन के बाद और मूर्तियां अगर मिट्टी की है तो उन्हें पूजन के बाद विसर्जित कर दें।
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निष्कर्ष।
हिन्दू धर्म में दीपावली का त्योहार उजाले और खुशहाली का प्रतीक है यह पारंपरिक त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन से मनाया जा रहा है दीपक और फूल मालाओं से घर की सजावट साफ सफाई और पूजा का विशेष महत्त्व है इसमें भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है हमें चाहिए कि पूजा विधि विधान सहित हो, इस ब्लॉग में मुहूर्त, पूजन विधि, कलश स्थापना इत्यादि के बारे में बहुत ही सरल भाषा में जानकारी दी गई है।इस प्रकार दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधि पूर्वक करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है और मां प्रसन्न होती हैं।