विदेशी छात्रों को Harvard University में नहीं मिलेगा एडमिशन, पढ़ रहे छात्रों का तबादला, Trump का सख्त रवैया!

अमेरिका स्थित हावर्ड विश्वविद्यालय विश्व के टॉप 5 शैक्षणिक संस्थानों में गिना जाता है सन 1636 में इसकी स्थापना हुई थी जान हावर्ड के नाम पर इस संस्थान का नाम पड़ा जिन्होंने लाइब्रेरी दान की थी, यह अमेरिका का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है।

विदेशी छात्रों को Harvard University में नहीं मिलेगा एडमिशन, पढ़ रहे छात्रों का तबादला, ट्रंप का सख्त रवैया!

4000 से ज्यादा कोर्स पढ़ने के लिए विश्व भर के अलग अलग देशों से हर साल छात्र पढ़ने आते हैं US न्यूज रिपोर्ट के अनुसार गुणवत्ता में पहले स्थान पर आता है इसकी विशेषता यह है कि यहां के पढ़े हुए 160 छात्रों को विश्व का सबसे बड़ा अवॉर्ड नोबेल मिल चुका है, हाल ही में यह विश्वविद्यालय विवादों में है आखिर क्या मामला है जिसका असर पढ़ रहे छात्रों पर पड़ेगा, समझते हैं पूरा विवाद क्या है?

हावर्ड vs ट्रंप सरकार, क्या है पूरा मामला

इजरायल और हमास के मध्य युद्ध के बाद हावर्ड समेत अमेरिका के कई संस्थानों में प्रदर्शन हुए, अमेरिकी सरकार ने विश्वविद्यालयों को यहूदी छात्रों की सुरक्षा में विफल बताया,इसलिए ट्रंप प्रशासन ने कुछ मांगे हावर्ड के सामने रखीं।

  • अप्रैल के महीने में अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS) ने विश्वविद्यालय के प्रशाशन से विदेश से पढ़ने आए छात्रों की डिटेल मांगी थी जिसमें उनके अपराध व एक्टिविटी की जानकारी हो। 
  • सरकार ने कहा कि फिलिस्तीन के समर्थन में यदि कोई आंदोलन होता है संस्थान में तो वहां पर मास्क न लगाया जाए।
  • जिन प्रोफेसर को सरकार उग्र वामपंथी मानती है उन्हें निष्काशित या उनकी शक्तियां कम करने को कहा।
  • यह सभी मांगों को विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन ग़र्बर ने मांगने से इनकार कर दिया उन्होंने कहा कि कोई सरकार यह नहीं तय कर सकती कि किसे दाखिला दें या किसे नियुक्त करें।
  • इसके अलावा विश्वविद्यालय ने कॉन्फिडेंशियल जानकारी और संविधान का हवाला व 'निजी स्वतंत्रता का हनन' जैसी बातों का तर्क देकर अपना पक्ष रखा।

ट्रंप ने हावर्ड के बारे में क्या कहा

ट्रंप ने कहा कि हावर्ड अब दुनिया के शीर्ष संस्थानों में शामिल होने लायक नहीं रह गया है वहां आंदोलन के नाम पर उग्र वामपंथी वैचारिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है छात्रों के बौद्धिकता की जगह उग्रता का बीज रोपित किया जा रहा है इसके साथ ही उन्होंने संस्थान के कई नियुक्तियों पर भी सवाल उठाए हैं।

ट्रंप सरकार की कार्यवाही

हावर्ड संस्थान ने सरकार द्वारा मांगों को खारिज करने के बाद प्रशासन ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए।

  1. संस्थान की केंद्र द्वारा दी जाने वाली सालाना फंडिंग (लगभग ₹18 हजार करोड़) पर रोक लगा दी, और 4 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता को स्थगित कर दिया गया है।
  2. शिक्षण संस्थानों को हर साल टैक्स में छूट मिलती है लेकिन हावर्ड की छूट को समाप्त कर दिया गया जिससे लगभग 15 करोड़ डॉलर का नुकसान संस्थान को हो सकता है।
  3. होमलैंड सिक्योरिटी ने हावर्ड में पढ़ने वाले लगभग 7 हजार विदेशी छात्र छात्राओं का सर्टिफिकेट रद्द कर दिया है इसका असर यह होगा कि या तो छात्र दूसरे संस्थान में एडमिशन लें या फिर देश छोड़ दें, भारत के लगभग 800 छात्र हर साल हावर्ड में पढ़ने जाते हैं।

हावर्ड और ट्रंप प्रशासन कानूनी लड़ाई

हावर्ड ने मैसाचूट्स की कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि संस्थान किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं रहेगा और प्प्रशासन संविधान संशोधन के पहले नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। विश्वविद्यालय की ओर से यह भी कहा गया कि यहूदी विचारधारा से निबटना बहुत जरूरी है लेकिन इस तरह से सरकार का हमला स्वायत्त शिक्षण संस्थानों की आत्मा को चोट पहुंचना और मनमानी है।

निष्कर्ष 

हॉवर्ड वैश्विक लेवल का संस्थान हैं जहां पर अलग अलग देशों के लोग पढ़ने आते हैं ऐसे में विभिन्न विचारों का समावेश शामिल है और वैचारिकता का विवाद विचारों से ही सम्भव होता है अगर ऐसे ही यह विवाद बढ़ता रहेगा तो बाहर से पढ़ने गए विदेशी छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, कुछ सूचनाओं से जानकारी प्राप्त हुई है कि विश्वविद्यालय ने थोड़े बहुत सुधार लिए हैं लेकिन प्रशासन अभी भी अपनी बात पर अड़ा हुआ है, ट्रंप सरकार को चाहिए कि ऐसा कोई बीच का रास्ता निकाले जिससे विश्वविद्यालय की ऐतिहासिकता बरकरार रहे, वैसे आपका क्या सोचना है इस विषय पर जरूर बताएं।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

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