जब-जब राहुल बोले, मोदी सरकार झुकी: मुद्दों की वह लिस्ट जहां सरकार को पलटना पड़ा फैसला!

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हर पांच साल में जनता द्वारा सरकार चुनी जाती है सेकंड नंबर वाली पार्टी विपक्ष का काम करती है जैसे फिलहाल में NDA गठबंधन की सरकार है और श्रीनरेन्द्र मोदीजी प्रधानमंत्री हैं वहीं विपक्ष में कांग्रेस व उसके अन्य दल हैं जिसके मुख्य नेता राहुल गांधी हैं।

जब-जब राहुल बोले, मोदी सरकार झुकी: मुद्दों की वह लिस्ट जहां सरकार को पलटना पड़ा फैसला!

डेमोक्रेसी में एक तरह से जनता ही विपक्ष होती है और सदन में आम जन की समस्याएं और आवाज उठाने का काम विपक्ष का उत्तरदायित्व होता है, Rahul Gandhi पिछले कुछ वर्षों में सरकार को भरपूर घेरा है और सरकार कुछ मुद्दों पर बैकफुट पर जाकर अपनी नीतियों में बदलाव भी किया है, कुछ ऐसे ही 5 बदलाव की बात करेंगे जिसमें सरकार को विपक्ष के दबाव में आकर झुकना पड़ा है।

इन मुद्दों पर राहुल गांधी के दबाव में झुकी मोदी सरकार!

Rahul Gandhi अपनी 'पप्पू' वाली धूमिल छवि को पिछले कुछ सालों में साफ किया है और सिद्ध किया है कि अब वह राजनीति में मैच्योर हो चुके हैं। हालिया गूगल ट्रेंड्स और सोशल मीडिया प्लेटफार्म में गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है, भारत जोड़ो यात्रा और बिहार में वोट चोरी को लेकर किया गया अभियान उनके राजनीतिक करियर में उड़ान भरने का काम किया है।

राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान

छोटे सवाल हों या बड़े मुद्दे रागा ने हर जगह सरकार सत्ता को ललकारा है 5 गंभीर मुद्दे जिन पर विपक्ष की आवाज से सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं।

GST स्लैब मे बदलाव

राहुल गाँधी ने काफी लंबे समय से GST के अंतर्गत स्लैब की आलोचना की है संसद से लेकर चुनावों की रैलियों में जीएसटी को “गब्बर सिंह टैक्स” कहा। हाल ही में बिहार यात्रा में कई जगह यह कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह इस टैक्स के नियम में जनता के हित को सोचकर बदलाव करेंगे।

हाल ही में केंद्र सरकार ने GST के स्लैब में दरों को घटाकर मुख्यतः 5 और 18 प्रतिशत किया है लक्जरी आइटम में 40 प्रतिशत का टैक्स होगा। कांग्रेस ने इसके बाद कहा कि यह नेता प्रतिपक्ष के घेराव की वजह से हुआ है।

UPSC में लेटरल एंट्री का विज्ञापन वापस

साल 2024 में सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा एक विज्ञापन जारी किया गया जिसमें 45 पदों को लेटरल एंट्री द्वारा भरने का ब्यौरा था। नेता प्रतिपक्ष ने इसे आड़े हाथ लिया और सदन में कहा कि यह दलित, पिछड़ा, आदिवासियों के हक को मारना हुआ। असर यह हुआ कि सरकार ने इस विज्ञापन को वापस ले लिया।

कृषि कानून पर सरकार झुकी

साल 2020 में केंद्र की सरकार ने देश की संसद में तीन कानून पारित किए जिसमें मंडी के बाहर बिक्री का प्रावधान था किसानों को डर था कि मंडिया खत्म हो जाएंगी और MSP उचित नहीं मिलेगा, ऐसे ही कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग और भंडारण की छूट वाले नियम थे। नतीजन पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली बाघा बॉर्डर पर प्रदर्शन किया।

राहुल गांधी ने खेती बचाओ यात्रा निकाली और किसानों के आंदोलन का साथ दिया और सरकार को घेरकर कहा कि कॉरपोरेट और व्यापारियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों के हक को मार रही है। साल 2021 में केंद्र की सरकार ने इस कानून को वापस लिया, राहुल ने इसे देश के किसानों की जीत कहा।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2015 की वापसी

साल 2013 में UPA की कांग्रेस सरकार श्रीमनमोहन सिंह की अगुवाई में एक अध्यादेश प्रस्ताव पास करती है इसका उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा, मुआवजा और सहमति जैसे मुद्दे थे।

2014 में भाजपा की सरकार बनी, मोदीजी की अगुवाई में इस अध्यादेश के ढांचे में बदलाव कर इसका लक्ष्य औद्योगिक विकास करना हो गया। उस समय राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे इस मुद्दे को आड़े हाथ लिया। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में घूमकर किसानों को इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराया और संसद में सरकार की तीखी आलोचना की और कहा यह बिजनेसमैन और सूट बूट की सरकार है। 2015 में बिहार के चुनाव के दौरान मोदी सरकार ने इसे वापस ले लिया।

अग्निवीर योजना में हुआ संशोधन

सेनाओं में युवाओं के 4 वर्ष भर्ती करने की योजना को राहुल ने यूज एंड थ्रो पॉलिसी बताया और कहा कि यह देश के गरीब परिवार के नौजवानों के साथ धोखाधड़ी है हालांकि इस योजना को बंद नहीं किया गया हां लेकिन कुछ बुनियादी योजनाएं जरूर बढ़ा दी गई हैं समय समय पर गांधी अपने भाषण में इस योजना की आलोचना करते हैं और उनकी सरकार बदलने पर इसे बंद करने का वादा भी कर चुके हैं।

लोकतंत्र की राह सुखद

ऐसे बहुत से छोटे मुद्दे हैं जहां सरकार ने विपक्ष के सवालों पर बैकफुट में जाने को मजबूर हुई है उदाहरण के लिए अपनी अमेरिकी यात्रा में एक भारतीय नागरिक के ट्रक में यात्रा की और वहां की सुविधाओं को देखकर भारत सरकार से सवाल किया कि क्या भारत में ट्रकों में Air Condition की सुविधा नहीं हो सकती? और नतीजा यह हुआ कि सरकार ने AC लगने को मंजूरी देकर गजट जारी किया और 1 अक्टूबर 2025 से माल वाहक वाहनों में यह सुविधा अनिवार्य कर दी गई। अगर विपक्ष की दर्द भरी आवाज को सरकार के सामने पेश करता है और सरकार दबाव वश ही सही जनता के पक्ष में फैसला लेती है तो यह लोकतांत्रिक देश के लिए सुखद संदेश है।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

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