त्वचा सम्बन्धी अनेकों बीमारियां हैं जिनका उपचार आसानी से प्राप्त हो जाता है किन्तु कुछ ऐसी जटिल और गंभीर बीमारियाँ हैं जिनके इलाज में समय और सावधानियों के साथ साथ दिनचर्या, खानपान दवाइयों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है एक ऐसी ही जटिल बीमारी है जिसका नाम है सोराइसिस
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यह उन गंभीर बीमारियों में से एक मानी जाती है जिसका इलाज काफी लंबे समय तक चलता है और खानपान, दिनचर्या में सावधानी बरतना अनिवार्य है। तो आइए जानते हैं सोराइसिस के शुरू होने से लेकर उसके प्रकार,कारण,लक्षण, दवाइयां और सावधानियों के बारे में।
क्या है सोराइसिस (Psoriasis)
सोराइसिस एक गंभीर त्वचा सम्बन्धी बीमारी है यह रोग त्वचा कोशिकाओं के ज्यादा बार विभाजन से होता है,त्वचा कोशिकाओं का यह विभाजन सामान्य त्वचा कोशिकाओं के विभाजन से 10 गुना ज्यादा होता है जिसकी वजह से हमारी स्किन में लाल चकत्ते और सफेद पपड़ी जम जाती है।
यह Autoimmune Disorder की वजह से होता है इसका मतलब यह है कि हमारा (Immune System)प्रतिरोधी तंत्र ही हमे बुरी तरह प्रभावित करने लगता है हमारी Anti Bodies ही हमे नुकसान पहुचाने लगती है। (आमतौर पर Antibodies का काम हमारे Immune System को सूक्ष्मजीवों (Bacteria, Fungus) इत्यादि से बचाना होता है।
सोराइसिस होने के कुछ मुख्य कारण
- यह बीमारी मुख्यतः खून(Blood) के दूषित होने के कारण होती है।
- अनियमित भोजन एवम दूषित खानपान
- junk Food(बनाने में आसान किन्तु खाने में हानिकारक)
- higher Consumption of Alcohol(शराब ज्यादा पीना)
- धूम्रपान(smoking) करना
- पेट की समस्या होना या पेट का साफ न होना।
इनके अतिरिक्त धूप के सम्पर्क में ज्यादा देर तक रहना और आनुवंशिकता से भी यह रोग होने की सम्भावना होती है।
सोराइसिस के लक्षण
मनुष्य के शरीर मे लाल चकत्ते बनने लगते हैं और सिल्वर रंग की पपड़ी जमने लगती है जिसमे जलन के साथ साथ खुजली(Itching) होती है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है जैसे सर के बालों में शुरुवाती समय में रूसी या डैंड्रफ की तरह दिखाई देगा और शरीर में आमतौर पर शुरुआत में बहुत हल्के से दाग जिनमे हल्की खुजली और धूप में जाने पर इचिंग होती है इसके कई प्रकार हैं जिसका उल्लेख आप आगे पढ़ सकते हैं।
सोराइसिस के प्रकार
यह समस्या शरीर के अलग अलग हिस्सों में देखने को मिलती है चूंकि एक खास जगह ग्रसित होने पर इसके नाम अलग हो सकते हैं आप किस खास अंग में पीड़ित हैं इस बीमारी से जान सकते हैं। यह बीमारी शरीर के अलग अलग अंगों में देखने को मिलती है इसको उसी आधार पर बाँटा गया है।
Inverse सोराइसिस
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इनवर्स सोरायसिस लाल चकत्तेदार दानों के रूप में निकलते हैं इससे मुख्य ग्रसित अंग अंडर आर्म्स, छाती के नीचे का हिस्सा, कोहनी और आन्तरिक संवेदनशील (जननांग) हैं।
Nail सोराइसिस
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नेल सोराइसिस आम तौर पर इसके लक्षण पैर के नाखून के इर्द गिर्द हिस्से में पपड़ी की तरह चमड़ी का निकलना होता है जिसकी वजह से धीरे धीरे नाखूनों में सड़न होने लगती है।
Palmoplantar सोराइसिस
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हथेलियों में चकत्ते पड़ना और छोटे छोटे दाने पड़ना और कभी कभी उन दानों से पानी निकलना इसके लक्षण होते हैं सूखने पर हाथ की त्वचा निकलने लगती है और चकत्ते पड़ने लगते हैं।
Guttate सोराइसिस
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साधारणतया इस प्रकार का सोराइसिस उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है जो तनाव ग्रस्त रहते हैं दूसरा कारण इसके होने का दवाइयों का रिएक्शन तथा चोट हो सकती है यह मुख्यत सीने या गले के हिस्से में संभावना होती है कई बार देखा गया है की यह स्वतः ही 3 से 4 वीक में ठीक हो जाता है।
Erythrodermic सोराइसिस
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यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है जैसे पूरे हाथ पैर में या पीठ में, हार्ट बीट का बढ़ना, हल्का बुखार के लक्षण या ठंड लगने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
Pustular सोराइसिस
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इस प्रकार का Psoriasis ज्यादातर 20 साल की उम्र से ज्यादा वाले लोगों में देखा जाता है शरीर में दानों का निकलना और उनमें से पानी या मवाद(Pus) निकलना इसके आम लक्षण माने जाते हैं।
Scalp सोराइसिस
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स्कैल्प सोराइसिस अन्य सोराइसिस की अपेक्षा ज्यादा लोगों में पाया जाता है यह सर पर होता है बालों की जड़ों में मोटी पपडी पड़ जाती है शुरुआत में यह रूसी (Dandruff) की तरह प्रतीत होती है जिसे लोग नजर अंदाज करते हैं किंतु बाद में यह एक गम्भीर समस्या का रूप ले लेती है।
Arthritis सोराइसिस
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यह शरीर के जोड़ों में जैसे घुटनों में होता है इसमें लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं और भयंकर जलन होती है।सोराइसिस संक्रमक रोग नही है लेकिन इसकी सूजन और जलन (inflammation) शरीर के हर भाग में पहुँचने की सम्भावना होती है।
सोराइसिस के उपचार
इसके उपचार की दो पद्धतियां हैं आप अपने विवेक अनुसार अपना सकते हैं जैसे एलोपैथ यानी अंग्रेजी दवाएं और दूसरा है हर्बल या आयुर्वेदिक दवाएं। इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों के रिव्यू के आधार पर पाया गया कि अंग्रेजी दवाएं इसको जड़ से हटाने में बहुत ही कम कारगर है कुछ समय के लिए तो खत्म हो जाता है लेकिन जड़ से नही लेकिन आयुर्वेद में दवाओं और योग का सहारा लेकर खत्म किया जा सकता है। आप दवाएं कोई भी लें लेकिन सबसे जरूरी है खान पान का सेवन और जल्दी ठीक होना चाहते हैं तो उचित खानपान और व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं नीचे कुछ उपाएं बताए गए हैं इन्हें आप फॉलो कर सकते हैं।
लोशन (Lotion) क्रीम
इस बीमारी में त्वचा में रूखापन आ जाता है जिससे यह धीरे-धीरे और बढ़ने लगता है इसीलिए समय-समय पर लोशन या क्रीम का इस्तेमाल करते रहना चाहिए।
एस्टेरॉयड(Asteroid) क्रीम के इस्तेमाल से इसकी जलन में आराम मिलता है,कुछ क्रीम और भी हैं जिन्हें आप लगा सकते हैं।
- Lactic Acid Cream
- Glycolic Acid Cream
- Betasalic Cream
- Diprovate Plus Lotion और Ketoconazole aur Zink युक्त शैम्पू(जैसे कि स्कैल्प प्लस)का इस्तेमाल स्कैल्प सोराइसिस पर अत्यंत लाभदायी है। यह सामयिक उपचार(Topical Treatment)के तहत शामिल है।
- Anti Biotics(एन्टी बायोटिक्स)-इसके तहत Ciprofloxacin नाम की एन्टी बियोटिक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
Immunological दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे-
- Methotrexate
- Cyclosporine
- Retinoids
इन दवाओं से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो कि इस बीमारी को ठीक करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त खुजली को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह से Levocitrizin tablet ले सकते हैं।
Biological injection
यह दीर्घकालिक(Chronic) सोराइसिस में इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि-Gamma IV इंजेक्शन Human Normal immunoglobulin इंजेक्शन यह हफ्ते में एक बार और डॉक्टर की सलाह अनुसार इस्तेमाल करें। आपको जितनी भी दवाईयाँ बतायी गयीं हैं कृपया डॉक्टर के परामर्श और उचित मार्गदर्शन में ही उपयोग करें।
आयुर्वेदिक उपचार
मुख्यतः सोराइसिस(Psoriasis) बीमारी खून के दूषित होने की वजह से होती है आयुर्वेदिक में ऐसे तमाम इलाज और उपाए हैं जिससे खून को साफ किया जा सकता है और इस बीमारी से हमेशा के लिए निजात पाया जा सकता है।
गिलोय
गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत ही लाभ होता है गिलोय का काढ़ा कसैला और कड़वा होता है जो बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करता है।
नीम के पत्ते
नीम के पत्ते ब्लड को Purify करते हैं सुबह उठकर नीम के मुलायम पत्तों को खाली पेट अच्छे से चबाकर खाना चाहिए। नीम के पत्तों में Anti Fungal और Anti Bacterial प्रॉपर्टी होती है।
हल्दी
हल्दी को सोराइसिस वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है हल्दी में एन्टी फंगल होने के साथ साथ जलन को भी दूर करता है।
चिरायता(Absinthe) का काढ़ा
चिरायते को पानी मे उबालकर इसे चाय की तरह सेवन करना चाहिए,इस बीमारी में अत्यंत लाभप्रद है इसमें Anti Bacterial औऱ Anti inflammatory गुण पाए जाते हैं।
तुलसी का रस
तुलसी के रस में Vitamin-K होने के साथ साथ Anti Oxidant और एन्टी फंगल एलीमेंट होते हैं जो कि इस बीमारी में असरदायी है। तुलसी के रस पीने से हमारा खून साफ होता है ताजे फल और हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें।
Note: ध्यान रहे कि इस बीमारी में आहार की भूमिका प्रथम है हमेशा स्वस्थ और विटामिन,प्रोटीन इत्यादि से युक्त ही खाना ग्रहण करें।
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क्या नही करना चाहिए
बीमारी अगर जटिल है तो समय लगता है इसलिए धैर्य बनाकर चलें और डॉक्टर के परमर्श के साथ इन सावधानियों का अवश्य ख्याल रखें।
- कभी भी चाय के बाद ठंडा पानी न पीयें या ठंडे पानी के बाद चाय न पियें।
- खाने के बाद तुरन्त नहाएँ नहीं
- मैदा खाने से बचें।
निष्कर्ष
हमने आपको बीमारियों के प्रकार लक्षणों तथा कुछ अंग्रेजी दवाएं और आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जानकारी दी है आप बिना किसी वैदकी सलाह के दवाओं का सेवन न करें और भी इससे जुड़ी जानकारी के लिए कमेन्ट करें, धन्यवाद!